Tajmahal : उत्तरप्रदेश के आगरा में स्थित विश्वप्रसिद्ध ताजमहल (Tajmahal) अपनी खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। देश और दुनिया के लोग दूर-दूर से इसे देखने के लिए आते हैं। लोग इसकी सुन्दरता पर मोहित होते हैं। लेकिन आगरा के पांच गांवों के लोग मोहब्बत की इस अनमोल धरोहर से नफरत करते हैं। इसके पीछे की वजह जानकर आप हैरान रह जाएंगे।
ताजमहल से नफरत करते है ये लोग
दरअसल सुप्रीम कोर्ट की निगरानी के बाद ताजमहल (Tajmahal) की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। जिसके चलते इन गांवों में रहने वाले परिवारों को रोजाना काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बिना पास के आने की इजाजत नहीं है। अगर कोई रिश्तेदार आ भी जाए तो उसे एंट्री दिलाना किसी जंग से कम नहीं है। इतना ही नहीं अब इन गांवों में शादी के प्रस्ताव भी नहीं आ रहे हैं, जिसके चलते 40-45 फीसदी युवा आज भी कुंवारे हैं। यही वजह है कि इन गांवों के लोगों को ताजमहल की खूबसूरती रास नहीं आती।
5 गांव ताजमहल से करते हैं नफरत
ताजमहल (Tajmahal) के पूर्वी गेट के पास स्थित अहमद बुखारी, नगला पैमा, गढ़ी बंगास, नगला तल्फी गांव के युवक-युवतियों को कुदरत से शिकायत है कि उनका जन्म ताजमहल के पास वाले गांव में क्यों हुआ। यहां कुंवारों की फौज तैयार हो गई है। ताजमहल इस गांव के लिए अभिशाप बन गया है। ताजमहल की सुरक्षा और प्रदूषण के दुष्प्रभावों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चलते बिना अनुमति के कोई भी वाहन पांच सौ मीटर की दूरी तक नहीं आ सकता। इन गांवों में आने-जाने वाले लोगों की पूरी तलाशी ली जाती है। ऐसे में बाहर से आने वाले रिश्तेदारों को यहां ग्रामीणों के घर पहुंचने के लिए डेढ़ से दो किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है।
इन गाँवों के बेटे-बेटियों की नहीं हो रही शादी
ऐसे में कोई भी व्यक्ति अपनी बेटी या बेटे की शादी इन पांच गांवों में नहीं करना चाहता। सड़क पर प्रतिबंध के चलते पिछले दस सालों से इन पांचों गांवों में लगभग कोई भी शादी नहीं हुई है और जो शादियां हुई हैं, वे गांव से बाहर हुई हैं। लेकिन सभी के लिए गांव से बाहर जाकर शादी करना संभव नहीं है। यहां के ग्रामीण अगर तैयार भी हो जाएं तो रिश्तेदार इसके लिए तैयार नहीं होते। ऐसे (Tajmahal) में इन पांचों गांवों में स्थिति यह है कि हजारों लोग कुंवारे हैं।
इसके साथ ही गांव में करीब दो हजार युवक-युवतियां कुंवारे हैं। ऐसा नहीं है कि ग्रामीणों ने इसका समाधान निकालने की कोशिश या पहल नहीं की हो। ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री तक से शिकायत की है, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।
कोर्ट से लेनी पड़ती हैं इजाजत
सड़क की समस्या के चलते इन गांवों (Tajmahal) में न तो कोई स्कूल है और न ही कोई स्वास्थ्य केंद्र। कई बार समय पर इलाज न मिलने के कारण कई हादसे भी हो चुके हैं, इसके बावजूद सरकार और प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। 1992 में सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल (Tajmahal) को अपनी निगरानी में ले लिया था।
इसके बाद इन गांवों के लोगों को दशहरा घाट के पास नगला पैमा पुलिस चेक पोस्ट से शहर जाना पड़ता है या फिर 10 किमी का चक्कर लगाकर धांधूपुरा से होकर जाना पड़ता है। गांवों (Tajmahal) में रहने वाले लोगों को सीओ ताज सुरक्षा से वाहन पास बनवाना पड़ता है और आधार कार्ड भी रखना पड़ता है। बैरियर पर चेकिंग के बाद ही ये लोग जा सकते हैं।
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