Ronak Rathi : आईआईएम में दाखिला लेना किसी सपने का साकार होना जैसा ही है. लेकिन बहुत कम ही स्टूडेंट्स होते हैं जो इस कॉलेज में दाखिला ले पाते हैं. और जो इसमें सफलता हासिल करते हैं वो इतिहास में अपना नाम दर्ज कर लेते हैं. ऐसी ही एक कहानी है गुजरात के पालनपुर में रहने वाले एक स्टूडेंट कि. जिसने मात्र 22 साल कि उम्र (Ronak Rathi) में कैट का टेस्ट पास किया है. पहले उन्होंने आईआईटी पास कि अब आईआईएम रांची से एमबीए की पढ़ाई करने के लिए तैयार हैं.
चाय वाले का बेटा IIM से करेगा एमबीए
हम बात कर रहे हैं गुजरात के रौनक राठी कि जिन्होंने अपना सफर मुश्किलों से गुजारा था. ऐसे ही एक स्टूडेंट से मुलाकात हुई जहां उनके पिता चाय की दुकान चलाते हैं और उनकी मां अपने घर का गुजराता चलाती हैं. रौनक ने अपनी सफलता से लोगों को प्रेरित किया है. उनकी कहानी देश के हजारों बच्चों के लिए प्रेरणा बन गई है. उत्तर गुजरात के पालनपुर में रहने वाले 22 साल के रौनक राठी इस साल आईआईएम में जगह बनाने वाले गुजरात के युवाओं में से एक हो सकते हैं. लेकिन उनका सफर किसी और जैसा नहीं है.
गुजरात के रौनक राठी ने 22 साल में पास की CAT
राठी ऐसे परिवार से आते हैं जहां उनके पिता चाय की दुकान चलाते हैं और उनकी मां कपड़े सिलकर अपना गुजारा करती हैं. इस प्रकार राठी (Ronak Rathi) जिसमें आईआईएम रांची में शामिल किया गया है. वह कॉलेज में उत्कृष्टता हासिल करना चाहते हैं और अपने परिवार को गरीबी से बाहर निकालती हैं और अपने जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए एक अच्छा छात्र प्राप्त करना चाहती हैं. पालनपुर में कक्षा 12 तक गुजराती माध्यम से पढ़ाई की और बाद में अडानी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया.
चाय की दुकान चलाते हैं राठी के पिता
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उन्होंने (Ronak Rathi) पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष में CAT की तैयारी शुरू की और परीक्षा में 97.68 फीसदी स्कोर प्राप्त किया. उनके पिता ने कहा कि हालांकि उनके पास बहुत अधिक आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, लेकिन वे और उनकी पत्नी अपने बच्चों की अच्छी पढ़ाई सुनिश्चित करते हैं और उनके लिए बेहतर जीवन की गुणवत्ता के लिए मानदंड हैं. वे दिन में 12 घंटे काम करते हैं और पांच लोगों के परिवार के लिए मुश्किल से 15,000 रुपए महीने का काम करते हैं. जिसमें दो भाई-बहन भी शामिल हैं.
दिन-रात मजदूरी कर उनके पिता ने पढ़ाया
रौनक (Ronak Rathi) की दो बड़ी बहनें दृष्टिबाधित हैं और वे कोचिंग और यूपी पीएससी परीक्षाओं की तैयारी कर रही हैं. रौनक ने कहा, ‘मैं अपने माता-पिता को अपने काम से अलग करना चाहता हूं ताकि वे अपनी रुचियों को आगे बढ़ा सकें. मैं अपने माता-पिता को भी उनके सपने में पूरी मदद करना चाहता हूं.’ रौनक (Ronak Rathi) अपनी सफलता का श्रेय आईआईएम कोलकाता के पूर्व छात्रों और प्रारंभिक संस्थान के कैट मेंटर श्रीश कुमार को देते हैं.
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