The Army Honoured Little Shravan Who Served The Soldiers In Operation Sindoor
The Army honoured little Shravan who served the soldiers in Operation Sindoor

Operation Sindoor : ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) में भारतीय जवानों द्वारा दिखाई गई बहादुरी की पूरा देश सराहना कर रहा है। जब ऑपरेशन सिंदूर चल रहा था तब देश के आम लोगों ने भी जवानों का साथ दिया। हर कोई सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा नजर आया। इसकी एक झलक फिरोजपुर के ममदोट कस्बे के सीमावर्ती गांव तारा वाली में देखने को मिली। जहां महज 10 साल के श्रवण ने सेना के जवानों का खूब साथ दिया।

भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पंजाब के फिरोजपुर के एक छोटे से गांव में रहने वाले दस वर्षीय श्रवण सिंह ने भारतीय सैनिकों के लिए असाधारण सेवा की।

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एक बच्चे ने भी दिया सहयोग

Operation Sindoor

ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के दौरान सीमावर्ती गांव तारा वाली में सीमा पर तैनात सेना के जवानों के लिए 10 साल का श्रवण अपने घर से ठंडा पानी, दूध, चाय, लस्सी और बर्फ पहुंचाकर सबसे कम उम्र का योद्धा बनकर उभरा।

श्रवण सिंह के पिता सोना सिंह ने बताया कि वह किसान हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जब सैनिक सीमा पर तैनात थे। तब श्रवण हर रोज उन तक दूध, लस्सी और ठंडा पानी पहुंचाते थे। वह बिना किसी डर या झिझक के उनकी सेवा करते रहे।

10 वर्षीय श्रवण ने फौजियों तक पहुंचाया दूध और लस्सी

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श्रवण के पिता सोना सिंह किसान हैं। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के पहले दिन से ही श्रवण ने सैनिकों की मदद करना शुरू कर दिया था। श्रवण की कहानी देशभक्ति की अनूठी मिसाल है जो हमें याद दिलाती है कि देश की सेवा उम्र से नहीं बल्कि दिल से की जाती है।

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना के जवान उनकी जमीन पर डेरा डाले हुए थे। इस दौरान जब उन्होंने सेना के जवानों को सामान देना शुरू किया. तो श्रवण सिंह भी आगे आए और उन तक सामान पहुंचाना शुरू कर दिया।

श्रवण बनना चाहता है इंडियन आर्मी का हिस्सा

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सेना के जवानों भी ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) में श्रवण को सहयोग करने से नहीं रोका बल्कि खुद भी उसके देशभक्ति के जज्बे को देखकर गर्व महसूस करने लगे। श्रवण सिंह के पिता सोना सिंह ने बताया कि देश की सेना के जवान उनकी जमीन पर रह रहे थे और उनका बेटा पहले दिन से ही उन्हें दूध, पानी, लस्सी, बर्फ देने जाता था। और जब से जवान हमारे खेतों में आए हैं तबसे हमने भी उसे नहीं रोका।

श्रवण ने कहा, “मुझे डर नहीं लगा। मैं बड़ा होकर सैनिक बनना चाहता हूं। सैनिकों ने मुझे बहुत प्यार दिया।” श्रवण के पिता सोना सिंह ने कहा, “श्रवण ने पहले दिन से ही सैनिकों की सेवा की। उसने एक भी दिन नहीं छोड़ा। हम उसके साथ खड़े रहे।”

बहादुरी के चलते सेना ने किया सम्मानित

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7वीं इंफेंट्री डिवीजन के जीओसी मेजर जनरल रणजीत सिंह मिनरल ने श्रवण को ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) में इस अद्भुत सेवा के लिए सम्मानित किया। इसी के चलते हाल ही में मेजर जनरल रंजीत सिंह मनराल (जीओसी-7 इंफेंट्री) ने उसे सम्मानित किया।

श्रवण सिंह ने बताया कि वह बड़ा होकर सेना में भर्ती होना चाहता है और देश की सेवा करना चाहता है। सेना की ओर से उसे उपहार भी दिए गए हैं और जब उसे उपहार दिए गए तो उसे विशेष भोजन खिलाया गया और उसे आइसक्रीम भी खिलाई गई।

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