Sarpanch: देश और दुनिया में कई अजीब मामले आते है। कुछ खबरे तो ऐसी होती है जो काफी वायरल होती है। ऐसे में अब एक मामला सामने आया है जो सुनने में काफी अजीबो-गरीब है।
देश में गांव, नगर और सभी जगह एक मुखिया (Sarpanch) की परम्परा है। जो जनता द्वारा चुना जाता है और वही पांच सालों तक अपने क्षेत्र का शासन करता है। लेकिन एक पंचायत के सरपंच ने ये कारनामा कर दिया कि उसने एक और सरपंच चुन लिया है।
पेंड्री ग्राम पंचायत में बने 2 सरपंच
छत्तीगसढ़ के मनेन्द्रगढ़ के अधीन आने वाली पेंड्री ग्राम पंचायत का ये मामला है। जहां पर एक महिला सरपंच (Sarpanch) पद के लिए निर्वाचित हुई थी। फूलकुंवर सरपंच पद के लिए चुनी गई थी।
लेकिन अब अपने नियमों और शक्तियों से अनभिज्ञ म्हिल्ला सरपंच ने जो कदम उठाया वह चर्चा का विषय बन गया है। महिला सरपंच (Sarpanch) ने खुद का ही प्रतिनिधि चुन लिया है। जो भारतीय निर्वाचन प्रणाली के विरुद्ध है।
निर्वाचित सरपंच ने चुना अपना प्रतिनिधि
पेंड्री ग्राम पंचायत की सरपंच फूलकुंवर ने देवनंदन प्रसाद को अपना प्रतिनिधि चुना है। और लिखित तौर पर बताया है कि देवनंदन ही अभी से उनकी जगह सरपंच (Sarpanch) के तौर पर काम करेंगे। ऐसे में यह मामला गंभीर बन गया है और जल्द ही सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। इसके बाद सरपंच फूलकुंवर ने इस पर सफाई भी दी है।
और उन्होंने बताया कि वह किसी बभी इस तरीके के नियमों को नहीं जानती है। उसे जैसा पता है वह उसने कर दिया। और यहाँ तक कि उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें कुछ लोगों ने ऐसा करने को कहा था इसलिए उन्होंने अपने प्रतिनिधि को चुना है।
सरपंच प्रतिनिधि बनाने का नहीं है कोई नियम
वहीं दूसरी ओर प्रतिनिधि के रूप में चुने गए देवनंदन प्रसाद ने ये कहा कि उन्हें सरपंच (Sarpanch) ने प्रतिनिधि बनाया है तो वह इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाएंगे। क्योंकि सरपंच ने कुछ सोच कर ही उन्हें यह जिम्मेदारी दी होगी। वहीं उनका कहना है कि वह गाँव के विकास के लिए हर तरीके से काम करने के लिए तैयार रहेंगे।
पंचायत के लोगों में उपज रहा है विरोध
हालांकि आपको बताते चलें कि पंचायती राज अधिनियम में ऐसे किसी भी नियम का उल्लेख नहीं है और यह अमान्य नियम विरुद्ध है। ऐसे में ये मामला ना सिर्फ नियमों की अनदेखी है बल्कि पूरे गांव में दोहरी राजनीति उभर कर सामने आ रही है।
इससे कई मामले सामने आ सकते है और कई जगह विरोध उपज सकता है। वहीं गांव के सचिव शिव गोपाल ने इस का बहुत विरोध किया है। देखना ये होगा कि जिला पंचायत या प्रशासन इस पर क्या कार्रवाई करता है।
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