Child: उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले से मानवता की मिसाल पेश करने वाली एक घटना सामने आई है. ज़रा सोचिए, एक मासूम बच्चा (Child) , जिसने अभी आँखें भी नहीं खोली हैं और दुनिया भी नहीं देखी है, उसे झाड़ियों में दर्द से तड़पता छोड़ दिया गया, लेकिन इस अंधेरे में मानवता एक आशा की किरण बनकर आई, जब एक सब्जी विक्रेता ने उस मासूम नवजात को गले लगाकर उसकी जान बचाई.
मासूम झाड़ियों में कांप रहा था
यूपी – जिला महराजगंज में काली मंदिर के नजदीक झाड़ियों में नवजात बच्चा पड़ा मिला। सब्जी विक्रेता हरिश्चंद्र उसे उठाकर घर ले गए हैं। लोग 1 लाख रुपए देकर भी बच्चा लेने को तैयार हैं।@VijayReports_ pic.twitter.com/H9ZXSH0MIW
— Sachin Gupta (@SachinGuptaUP) September 3, 2025
घुघली नगर के बैकुंठी नदी के किनारे काली मंदिर के पास झाड़ियों में बुधवार को एक नवजात बच्चा (Child) मिला. रोने की आवाज सुनकर रेलवे ढाला वार्ड नंबर 11 निवासी सब्जी विक्रेता हरिश्चंद्र वहां पहुंचे. जब उसने देखा कि बच्चा काँप रहा है और रो रहा है, तो उसने तुरंत उसे उठाया, पानी पिलाया और घर ले आया. उसने उसे गर्म कपड़े पहनाए और बच्चे को अपनी छाती से ऐसे लगा लिया जैसे कोई पिता अपने बेटे को बचा रहा हो.
इतना ही नहीं लोग बच्चे को देखते एक लाख तक की बोली लगाने लगे. सूचना मिलते ही नगर चौकी इंचार्ज अशोक गिरी वहाँ पहुँचे और नवजात को अस्पताल पहुँचाया. डॉक्टरों ने बताया कि बच्चा अब सुरक्षित है और उसकी हालत स्थिर है. आगे की स्वास्थ्य जाँच के बाद उसे चाइल्ड लाइन को सौंप दिया जाएगा.
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तड़पते Child को देख जागी ममता

झाड़ियों में तड़पता वो मासूम बच्चा (Child) शायद इंसानियत की परीक्षा लेने के लिए ही पैदा हुआ था और हरिश्चंद्र ने साबित कर दिया कि इंसानियत अभी ज़िंदा है. आज सब कह रहे हैं, वो सब्जी वाला नहीं था, उस मासूम बच्चे के लिए भगवान का फरिश्ता बनकर आया था.
हरिश्चंद्र के इस मानवीय कार्य की हर जगह प्रशंसा हो रही है. पुलिस मामले की जाँच कर रही है. अधिकारी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि लड़की को झाड़ियों में किसने और क्यों छोड़ा?
मानवता की जीत
आज यह घटना महाराजगंज में चर्चा का विषय बन गई है. सोशल मीडिया से लेकर मोहल्ले की गलियों तक, लोग हरिश्चंद्र को भगवान का रूप बता रहे हैं. सचमुच, यह कहानी सिर्फ़ एक नवजात शिशु की नहीं, बल्कि मानवता की जीत की कहानी है. नगर पंचायत घुघली के स्थानीय निवासी हरिश्चंद्र ने बताया कि जब उन्होंने बच्चा (Child) की करुण पुकार सुनी, तो उनका कलेजा मुंह को आ गया. “एक पल के लिए तो उन्हें लगा कि यह किसी जानवर की आवाज़ है, लेकिन जब पास गए तो देखा कि झाड़ियों में एक नवजात शिशु पड़ा है. वह ठंड और भूख से तड़प रहा था.”
उस मासूम बच्चे को छोड़ना मेरे बस में नहीं था, इसलिए मैंने उसे तुरंत गोद में उठा लिया. मुझे लगा जैसे भगवान ने इस बच्चे को मेरी गोद में भेज दिया हो. हरिश्चंद्र ने भी कहा था कि मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं है. “अगर मैं उसे वहीं छोड़ देता, तो शायद वह ज़िंदा न बचता। मैंने वही किया जो मेरे दिल ने कहा. अब मैं बस यही चाहता हूँ कि इस बच्चे को अच्छी परवरिश और सुरक्षित ज़िंदगी मिले.” हरिश्चंद्र की इस इंसानियत को देखकर स्थानीय लोग भावुक हो गए.