अगर आप सांप से डरते हैं, या सांपों के ख्वाब आते हैं तो नागपंचमी का दिन बिल्कुल भी खाली न जाने दें। इस दिन नागों की जरूर पूजा करें। ऐसा करने से नाग कभी भी आपको हानि नहीं पहुंचाएंगे। अगर रास्ते में कहीं आप जा रहे हैं और अचानक सांप मिलता है तो आपको डरने की आवश्यकता नहीं।
गरुण पुराण के अनुसार नागपंचमी के दिन घर के मुख्य द्वार पर दोनों ओर नाग का चित्र दीवार पर बनाकर अनंत आदि प्रमुख महानागों की पूजा करने से सांपों का भय मन से मिट जाता है। अगर ज्योतिषों की माने तो चूंकि पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं। इस लिए सावन मास की शुक्लपक्ष की पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है और नागों की पूजा की जाती है। यह सदियों पुरानी परम्परा है जो आज भी चली आ रही है।
देखिए क्या कहता है स्कंद पुराण
स्कंद पुराण के नगर खंड में ऐसा कहा गया है कि सावन महीने की पंचमी को नागों की पूजा करने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। नारद पुराण में सर्प के काटने से बचने के लिए कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को नाग व्रत करने का विधान बताया गया है। ऐसी मान्यता चली आ रही है कि सर्प दंश से बचने के लिए सावन की नाग पंचमी के साथ ही भादो कृष्ण पंचमी को भी नागों को दूध पिलाना चाहिए।
ऐसी मान्यता है कि कि नागों के चित्र पर पंचमी के दिन खीर, कमल, पंचामृत, धूप और नैवेद्य आदि से पूजा करनी चाहिए। तत्पश्चात खीर का दान करें, जो लोग नाग की पूजा करते हैं उन्हें न तो हल चलाना चाहिए और न ही भूमि खोदनी चाहिए।
सावन में ही क्यों है नाग पूजा का महत्व
सावन का महीना वर्षा ऋतु का महीना होता है। इस लिए बारिश की वजह से जगह-जगह जल भराव हो जाता है। यहां तक कि सांपों के बिल में भी पानी चला जाता है। सूखे के लिए वह अलग स्थान खोजते हैं।
इस कारण वह घर आदि में भी पहुंच जाते हैं। जिससे उनके काटने का खतरा बराबर बना रहता है। इसलिए पूर्वजों द्वारा ऐसी परंपरा डाली गई है कि सावन की नाग पंचमी को नागों की पूजा करें, ताकि उनके काटने का खतरा न के बराबर हो जाए।
नागपंचमी की पारंपरिक कथा
ऐसी मान्यता है कि किसी नगर में एक किसान अपने परिवार के साथ रहता था। उसके दो लड़के और एक लड़की थी। एक दिन जब वह हल चला रहा था तो उसके हल से सांप के तीन बच्चों की मृत्यु हो गई। बच्चों को मृत देख मां नागिन रोने लगी। नागिन ने बच्चों को मारने वाले से बदला लेने का निश्चय कर लिया।
एक रात जब किसान अपने बच्चों को साथ सो रहा था तो नागिन पहुंची और उसने किसान उसकी पत्नी और दोनों पुत्रों को डस लिया। जब दूसरे दिन नागिन किसान की बेटी को डसने के लिए पहुंची तो उसने डर कर नागिन के सामने दूध की कटोरी रख दी और हाथ जोड़कर क्षमा मांगी। उस दिन संयोग से नाग पंचमी का दिन था।
नागिन ने खुश होकर किसान की बेटी से वर मांगने को कहा। इस पर किसान की बेटी ने अपने माता-पिता और भाइयों को जीवनदान का वरदान मांगा और साथ ही यह भी वर मांगा कि जो इस दिन नागों की पूजा करें उसे कभी नाग न डसे।
इस पर नागिन तथास्तु कहकर चली गई। उसके बाद किसान और उसका परिवार जीवित हो उठा। तभी से नागपंचमी के दिन हल चलाना और साग काटना निषेध माना गया है।
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