विकास दुबे के बाद अब बाहुबली मुख्तार पर कसा शिकंजा, यूपी पुलिस के हिट लिस्ट में शामिल

कानपुर एनकाउंटर के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अपने वादे के अनुसार सूबे को अपराधियों से मुक्त करने के लिए कदम बढ़ा दिया है। इस कड़ी में बाहुबली मुख्तार अंसारी पर सरकार ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इस संबंध में अंसारी के तीन रिश्तेदारों के शस्त्र लाइसेंश रद्द कर दिए गए हैं। इसके अलावा शूटर प्रकाश मिश्रा और ब्रजेश सोनकर की संपत्ति को भी जब्त कर लिया गया है। साथ ही  मुख्तार गैंग के 25 अपराधियों पर गैंगेस्टर की कार्यवाई करने के साथ ही सात को गिरफ्तार कर लिया गया है।

बाहुबली मुख्तार अंसारी का राजनैतिक और अपराधिक इतिहास

विकास दुबे के बाद अब बाहुबली मुख्तार पर कसा शिकंजा, यूपी पुलिस के हिट लिस्ट में शामिल

मुख्तार अंसारी उत्तर प्रदेश का माफिया डॉन होने के साथ ही राजनेता भी है। अंसारी मऊ निवार्चन क्षेत्र से विधानसभा के सदस्य के रूप में पांच बार विधायक रह चुका है। यह एक रिकार्ड है। उसके ऊपर कई जघन्य अपराधों समेत कृष्णानंद राय हत्या के मामले का भी मुख्य आरोपी है, लेकिन इस मामले में अभी अंसारी को दोषी नहीं ठहराया गया है।

अंसारी ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के एक उम्मीदवार के रूप में अपने पहले विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2007 में वह बसपा में शामिल हो गया। 2009 के लोकसभा चुनाव में मैदान में उतरा लेकिन असफलता हाथ लगी। 2010 में उसकी अपराधिक गतिविधियों को देखते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी से निष्कासित कर दिया था।

उसके बाद उसने अपने भाइयों के साथ मिलकर कौमी एकता दल का गठन किया। उसे 2012 में उत्तर प्रदेश की मऊ सीट से विधायक चुना गया। उसके बाद 2017 में एक बार फिर बसपा में उसकी पार्टी कौमी एकता दल का विलय हुआ। फिर बसपा उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनाव में पांचवी बार विधायक के रूप में पांचवी बार विधायक बना।

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मुख्तार के अपराध पर एक नजर….

– मुख्तार पर 44 अपराधिक मामले दर्ज हैं।
– उस पर टाडा, मकोका और पोटा भी लगा, लेकिन वह सबसे बच निकला।
– हत्या के ज्यादातर मामलों में वह षणयंत्र रचने में भी दोषी रहा है।
– वर्चस्व के कारण सबूतों और गवाहों के अभाव में वह हमेशा बचता रहा।
– हत्या का पहला मामला 1988 में सामने आया था।
– वाराणसी के कोयला कारोबारी नंद किशोर रूंगटा के अपरहण और हत्या में मुख्तार का नाम आया लेकिन वह सबूतों के अभाव में सीबीआइ जांच से बरी हो गया।
– पूर्वांचल समेत सूबे के सरकारी ठेकों पर भी मुख्तार ने खूब कब्जा किया।
– 1996 में पहली बार विधायक बनने के बाद ही ब्रजेश गैंग से आमने-सामने मुठभेड़ होने लगी।
– 2002 तक मुख्तार अंसारी के गैंग को पूर्वांचल का सबसे खूंखार गैंग कहा जाने लगा।
– इस दौरान ब्रजेश का गैंग भी बड़ा हो गया। ब्रजेश ने 13 जनवरी 2004 को लखनऊ के दिलकुशा में मुख्तार के काफिले पर हमला बोला था।
– हमले में मुख्तार बच निकला था। ब्रजेश सिंह, कृष्णानंद राय, मुन्ना सिंह और अजय सिंह समेत कई को नामजद किया गया था।
– 2005 में इलाहाबाद के पास एके 47 से कृष्णानंद राय समेत आधा दर्जन से अधिक लोगों को गोलियों से भून दिया गया था। आरोप मुख्तार पर लगा। यह मामला दिल्ली की सीबीआइ कोर्ट में चल रहा है। तभी से मुख्तार सलाखों के पीछे है।
– मुख्तार के तमाम केसों के गवाह की या तो संदिग्ध परिस्थियों में मौत हुई अथवा प्राकृतिक रूप से। इस लिए उसके अधिकांश केस बंद हो गए हैं और कुछ ही पेंडिंग हैं।

 

 

 

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