नई दिल्ली- रूस ने अपने नागरिकों के लिए अपनी दुनिया की पहली कोरोना वायरस वैक्सीन स्पूतनिक V के पहले बैच को आम नागरिकों के लिए जारी कर दिया है। आपको बता दें कि रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय ने 11 अगस्त को अपनी वैक्सीन का पंजीकरण कराया था और यह कोरोना वायरस की दुनिया की पहली पंजीकृत वैक्सीन है। वहीं भारत सरकार ने रूस में विकसित की गई वैक्सीन को लेकर सकारात्मक रुख अपनाया है।
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने बताया है कि भारत सरकार रूस में विकसित की गई वैक्सीन को लेकर सरकार आशान्वित हैं। उन्होंने यह भी बताया कि रूस ने इस वैक्सीन को लेकर भारत की सरकार से संपर्क किया है और दो स्तर पर इसमें मदद की मांग भी की है।
रूस की ओर से मांगे गए ये दो सहयोग
रूस की ओर से यह मांग की गई है कि भारत की दवा कंपनियों के नेटवर्क के जरिए इस वैक्सीन का निर्माण किया जाए। साथ ही रूस ने दूसरी मांग ये भी की है कि इस वैक्सीन के तीसरे चरण के अध्ययन भारत में किये जाएं। आपको बता दें कि रूस का इस वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल यूएई, सऊदी अरब, फिलीपींस और ब्राजील में इस महीने से शुरू हो जाएगा। वहीं रशियन डॉयरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड ने अपने बयान में कहा है कि इस वैक्सीन का उत्पादन भारत, दक्षिण कोरिया, ब्राजील, सऊदी अरब, तुर्की और क्यूबा में किया जाएगा।
दुनियाभर की 60 फीसद वैक्सीन का उत्पादन भारत में ही होता है
रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआइएफ) के सीईओ किरिल दिमित्रीएव ने कहा कि भारत ऐतिहासिक रूप से रूस का अहम साझीदार रहा है। दुनियाभर की 60 फीसद वैक्सीन का उत्पादन भारत में ही होता है। रूस भारतीय साझीदारों की बेहद संतुलित सोच का स्वागत करता है जिनका शुरुआत से ही सवाल था कि वैक्सीन कैसे काम करती है।
उन्होंने वैक्सीन को निशाना बनाने के बजाय इसे समझने की कोशिश की। वहीं चीन ने इस हफ्ते बीजिंग व्यापार मेले में अपनी स्वेदशी कोरोना वैक्सीन को पहली बार प्रदर्शित किया। इन्हें चीनी कंपनियों साइनोवैक बायोटेक और साइनोफार्म ने तैयार किया है।