भारत और चीन के बीच मौजूदा समय में एक महीने से ज्यादा वक्त से विवाद चल रहा है। चीन भारत की हर एक प्रगति से जलता है, भारत का विश्व स्तर पर बढ़ना चीन के लिखे खिसियाने की खबर होती है। भारत, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का बड़े बहुमत के साथ दो साल के लिए अस्थाई सदस्य बन गया, चीन के पेट में इतनी बड़ी बात पच नहीं रही है और अब चीन की खीझ लोगों के सामने आ रही है।
नाखुश दिखा चीन का रवैया
भारत 184 देशों के बड़े बहुमत के साथ दो साल के लिए यूएनएससी का अस्थाई सदस्य बना, लेकिन ये बात पड़ोसी देश चीन को अच्छी नहीं लग रही है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अपने बयान में चीन की नाखुशी के साफ संकेत दे दिए हैं, यही नहीं उन्होंने पत्रकारों से भारत से जुड़े सवालों पर चुप्पी साध ली है।
चीन का बुरा रवैया
चीन भारत का सभी बड़े वैश्विक स्तर पर हमेशा विरोध करता रहा है। जब संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस भारत का स्थायी सदस्य बनने के लिए समर्थन करते हैं, तो चीन अकेले ही भारत का विरोध करता है, जो कि उसकी बदनियती को दिखाता है। इस मौके पर भी चीन ने अपनी जलन जाहिर कर दी है, जब दुनिया के सभी देश भारत को बधाई दे रहें हैं और साथ रहने की बात कह रहें हैं तो इन सब से इतर चीन ने भारत का नाम तक नहीं लिया है।
घोषणा पत्र की दिलाई याद
नए सदस्यों को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ ने लीजियान ने बेरूखी और नाखुशी के साथ कहा-
संयुक्त राष्ट्र घोषणा-पत्र के मुताबिक सुरक्षा परिषद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बरकरार रखने के लिए एक महत्वपूर्ण तंत्र है। एक स्थाई सदस्य के तौर पर चीन सुरक्षा परिषद के नव निर्वाचित अस्थाई सदस्यों समेत सभी पक्षों के साथ सहयोग बढ़ाना चाहेगा जिससे संरा घोषणा-पत्र के तहत मिले दायित्व का संयुक्त रूप से निर्वहन किया जा सके।
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