सोनू सूद

सोनू सूद एक ऐसा नाम जो कोरोना महामारी के इस मुश्किल भरे दौर में देश के तमाम लोगों के लिए उम्मीद की नई किरण बन कर सामने आए हैं. आज इन लोगों को सोनू पर इतना भरोसा है कि जो कोई नहीं कर सकता वो सोनू सूद कर सकते हैं. वह हज़ारों प्रवासी मज़दूरों को उनके घर पहुंचा सकते हैं. मुंबई में रहते हुए भी बैंगलोर के पेशेंट को आईसीयू बेड मुहैया करा सकते हैं. इंदौर के पेशेंट को रेमडेसिविर इंजेक्शंस दिला सकते हैं, हरिद्वार की एक पेशेंट के लिए प्लाज्मा की व्यवस्था कर सकते हैं.

इतनी सब मदद के बीच सोनू सूद पर अब हाई कोर्ट ने सवाल खड़ा किया है कि जो कोरोना की दवाएं सरकारों को नहीं मिल पा रही वो सोनू सूद को कहां से मिल रही हैं. इतना ही नहीं कोर्ट ने तो सरकार को ऑर्डर भी दे दिया है कि जल्द से जल्द इसकी जाँच की जाएं. तो आइए एक बार इसी ममाले को आगे बढ़ाते हुए कोर्ट, सरकार और सोनू सूद से जुड़े इस पूरे मामले को डिटेल में जानते हैं..

पूरे भारत में एक अकेला मसीहा

सोनू सूद को कहां से मिल रही हैं कोरोना की दवाएं? हाई कोर्ट का आदेश- सरकार जल्द से जल्द करे जाँच

कोरोना महामारी के समय में आज पूरे भारत के लिए सोनू सूद की छवि एक मसीहा के समान बन चुकी है और ये उम्मीदें ऐसे ही नहीं बनीं ये उम्मीदें बनी है मुसीबत में पड़े लोगों की मदद करने से जो सोनू पिछले डेढ़ साल से लगातार करते आ रहे हैं. हम सोशल मीडिया पर हर रोज देख ही रहे हैं कि किस तरह सोनू सूद से लोग ट्विटर पर मदद मांगते हैं और सोनू उस मदद को तुरंत पूरा भी कर रहे हैं. इसका एक अच्छा खासा उदाहरण है जब ट्विटर पर देविका वी नायर नाम का एक महिला लिखती हैं कि “उनकी दोस्त की आंटी की तबीयत बहुत खराब है, एक आईसीयू एंबुलेंस में उन्हें कच्छ से अहमदाबाद ले जाया जा रहा है, जहां एक आईसीयू बेड की सख्त ज़रूरत है.”

इसके जवाब में सोनू लिखते हैं, “जब आप अहमदाबाद पहुंचेंगे, आईसीयू वेंटिलेटर के साथ एक बेड आपकी आंटी के इंतज़ार में होगा” इसके अलावा जब विशाखापट्टनम के सैम सेवेन हिल्स अस्पताल में इंजेक्शन की मांग करते हैं और सोनू जवाब देते हैं. आपको कल तक इंजेक्शन मिल जाएगा जब लोग सुनते हैं कि सोनू ऑक्सिजन की कमी दूर करने के लिए विदेशों से ऑक्सिजन प्लांट मंगवा रहे हैं. जब किसी के शुक्रिया अदा करने पर वह लिखते हैं, ‘बेड दिलाना मेरा कर्तव्य है, ऑक्सिजन दिलाना मेरी जिम्मेदारी है, दवा दिलाना मेरा धर्म है. कभी-कभी मैं हार जाता हूं, लेकिन मैं हार कभी नहीं मानता.

सोनू सूद पर पर खड़े हुए सवाल

सोनू सूद को कहां से मिल रही हैं कोरोना की दवाएं? हाई कोर्ट का आदेश- सरकार जल्द से जल्द करे जाँच

बीते शुक्रवार को बॉम्बे हाइकोर्ट में कोरोना दवाईयों को लेकर सवाल खड़े किए गए थे कि नेता और सोनू सूद रेमडिसिविर जैसी दवाएं कहां से हासिल कर रहे हैं. हालांकि, सोनू का इस पर कहना है कि हम तो माध्यम भर हैं, जबकि दवा बनाने वाली कंपनियों का कहना है कि वे सरकार के अलावा किसी और को दवाई देते ही नहीं हैं. ऐसे में इस सवाल का खड़ा होना लाज़मी है. हाइकोर्ट ने कहा है कि दोनों के बयानों में काफी अनबन है, इसीलिए जांच तो जरूर की जानी चाहिए. इन सब पर सोनू सूद का कहना है कि उन्होंने जुबिलेंट, सिप्रा, होरेटो कंपनियों से अपील की थी और उन्होंने दवाएं दे दीं.

लेकिन केंद्र सरकार का कहना है कि कंपनियों ने केवल सरकारी एजेंसियों को ही दवाएं दी हैं. केंद्र की नुमाइंदगी करते हुए एडीशनल सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि ऐसा लगता है कि दवा देने का काम मैन्यूफैक्चरर्स ने नहीं किया. इस बाबत सरकार को पूछताछ करनी होगी, अदालत ने सरकार को इस पर मौखिक आदेश दिया कि वह जांच में लगी रहे. कोर्ट ने कहा कि उसकी चिंता है कि नकली दवाएं न बंटने लगें और यह कि दवा वितरण में असमानता न हो जाए भले ही ये लोग जनता की भलाई के लिए काम कर रहे हों लेकिन नियम कानून तो नहीं तोड़े जा सकते हैं.

इससे पहले एडवोकेट जनरल आशुतोष कुम्भकोनी ने बताया कि ड्रग इंस्पेक्टर ने सोनू सूद और एनसीपी एमएलए जीशान सिद्दीकी को नोटिस दिए थे. जिसके जवाब में दोनों ने कहा कि उन्होंने रेमडिसिवर इंजेक्शन न तो खरीदे हैं न उनका भंडारण किया है वे केवल माध्यम हैं सेवा के कुछ मामलों में दवा की लागत का भुगतान जरूर किया गया है. ‘दवा की लागत का भुगतान’? कोर्ट ने पूछा कि यह भुगतान किसने किया और किसको किया गया क्या यह जवाब स्वीकार करने लायक है? क्या अफसरान ऐसे बयान पर यकीन कर लेते हैं?

उधर, सोनू सूद फाउंडेशन का कहना है कि उसने न तो कभी दवा खरीदी न जमा की हमारे पास तो एक तंत्र है. हम सोशल मीडिया में मदद की मांग देखते हैं जो मांग सही प्रतीत होती है उसके लिए राजनीतिक नेताओं, पास के अस्पतालों से कहते हैं. फिर दवा बनाने वाले से कहते हैं कि वह अस्पताल की फार्मेसी के जरिए दवा का इंतजाम कर दे. हमने इंदौर, मुंबई, पंजाब समेत देश में कई जगह मदद दी है यह मदद अस्पताल, फार्मेसियों और कंपनियों के जरिए की गई है.

Why to seek entertainment from Youtube, Facebook, TV etc.. when all the entertainment is in the chattering of our thoughts!