प्याज की कीमतों ने एक बार फिर छुआ आसमान, 7360 रुपए क्विंटल तक पहुंच गई कीमत

प्याज की कीमतें एक बार फिर काफी ज्यादा बढ़ चुकी हैं. नवरात्रि के बाद देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक वाले राज्य महाराष्ट्र की येवला मंडी में भी प्याज का रेट थोक के हिसाब से 7360 रुपए क्विंटल तक पहुंच चुका है. पिछले साल भी प्याज का रेट लगभग ₹200 प्रति किलो तक पहुंच गया था. लॉकडाउन के बाद रेस्टोरेंट होटल भी खुल चुके हैं, शादी का सीजन भी शुरू हो रहा है, ऐसे में प्याज की कीमत लगातार बढ़ती जा रही है.

प्याज की कीमतों ने एक बार फिर छुआ आसमान, 7360 रुपए क्विंटल तक पहुंच गई कीमत

बारिश, ओले और बाढ़ के कारण किसानों को नुकसान

प्याज के लगातार बढ़ते रेट की कई वजह बताई जा रही है. प्याज के बड़े बड़े उत्पादक वाले राज्यों आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात और बिहार में तेजी से बाढ़ आई थी. जिसके बाद किसानों की हालत पर बुरा प्रभाव पड़ा. मध्य प्रदेश, कर्नाटका, आंध्र प्रदेश, गुजरात बिहार जैसे राज्य प्यास का भारी उत्पादन करते हैं. बारिश, ओले और बाढ़ के कारण प्याज का बुरी तरह से नुकसान हुआ और में सड़न पैदा हो गई.

प्याज की कीमतों ने एक बार फिर छुआ आसमान, 7360 रुपए क्विंटल तक पहुंच गई कीमत

मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश जैसे कई राज्यों के कई हिस्सों में भी लगातार बारिश हुई थी. उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बारिश के साथ-साथ ओले भी गिरे थे जिसके बाद सारी फसल नष्ट हो गई. साथ ही किसानों की दुर्दशा हुई. प्याज उगाने वाले सभी किसानों का बहुत नुकसान हुआ. इसके साथ ही प्याज का नुकसान हो जाने के कारण उनकी कीमतों में भी बहुत इजाफा हुआ.

पूरे साल कम नहीं होगी प्याज की कीमतें

कृषि विशेषज्ञ विनोद आनंद ने इस बारे में बात करते हुए जानकारी दी. उन्होंने कहा, ” प्याज के भाव बढ़ जाने का सबसे बड़ा कारण यह है कि फसल खराब हुई. बारिश के चलते महाराष्ट्र कर्नाटक आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में 40-45 फीसदी फसल बर्बाद हो गई और प्याज में सड़न पैदा हो गई. इन्हीं राज्यों से खरीफ की प्याज बाजार में मंगवाई जाती थी. इन सबके चलते दिवाली के बाद भी प्याज की कीमतों में बढ़त हो सकती है. विशेषज्ञों के मुताबिक इस पूरे साल प्याज की कीमत में कमी नहीं होगी.

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जानकारी के मुताबिक प्याज के उत्पादन में अब लगभग 17.17 फ़ीसदी तक बढ़त और भी हो सकती हैं. बाढ़ और लगातार बारिश होने के बाद अब इस साल प्याज का उत्पादन 268.56 लाख टन तक हो सकता है, जबकि पिछले साल 2018-2019 में प्याज का उत्पादन 228.19 लाख टन हुआ था.

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प्याज़ आवश्यक वस्तुओं की सूची से बाहर

विशेषज्ञों की मानें तो व्यापारियों ने भी प्याज की जमाखोरी करनी शुरू कर दी. पिछले साल सितंबर के महीने में थोक विक्रेताओं को 50 मिट्रिक टन व खुदरा के लिए करीब 10 मिट्रिक टन भंडारण का स्टॉक पर हुआ था, जिसके बाद व्यापारियों ने जमाखोरी कम कर दी थी. केंद्र सरकार द्वारा प्याज को आवश्यक वस्तुओं की सूची से बाहर कर दिया गया था जिसके बाद व्यापारियों को बहुत खुशी मिली. किसानों और जनता को प्याज की कीमतों को लेकर बहुत परेशानी उठानी पड़ रही है.

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मेरा नाम उर्वशी श्रीवास्तव है. मैं हिंद नाउ वेबसाइट पर कंटेंट राइटर के तौर पर...

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