उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। पंचायत चुनाव की तारीखों के ऐलान को लेकर कयासों का बाजार गर्म है। ऐसे में उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनावों को लेकर सभी पार्टियो ने कमर कस ली है। प्रशासन भी तैयारियों में जोर-शोर से जुटा हुआ है। वोटर लिस्ट और आरक्षण सूची जारी हो चुकी है। जिसके बाद अब लोगों को चुनाव की तारीखों के ऐलान का बेसब्री से इंतजार है।
उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएण ने दिये संकेत
उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा का बयान सामने आया है। जिसमें उन्होंने बताया है कि प्रदेश में पंचायत चुनाव बोर्ड परिक्षाओं से पहले ही संपन्न करा लिए जाएंगें। तबसे ही प्रदेशभर के लोग कयास लगा रहे हैं कि राज्य निर्वाचन आयोग 20 अप्रैल से पहले पंचायत चुनाव करा लेगा। इसी को देखते हुए सभी पार्टीयों ने अपनी कमर कस ली है।
आपको बता दें कि बोर्ड परीक्षा 24 अप्रैल से होने वाली हैं। डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि पंचायत चुनाव निष्पक्ष और शांतिपूर्ण तरीके से कराने का काम किया जाएगा। पंचायत चुनाव में गड़बढ़ी करने वालों से निपटा जाएगा।
रायबरेली के दौरे पर पहुंचे उप मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सरकार चाहती है कि शांतिपूर्ण तरीके से और बोर्ड परिक्षाओं से पहले मतदान करा लिए जाएं। 22 फरवरी को पेश होने वाले यूपी के बजट पर उन्होंने कहा कि योगी सरकार सभी का ध्यान रखकर बजट पेश करेगी।
उत्तर प्रदेश में आरक्षण सूची जारी
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्षों की जिलेवार आरक्षण सूची जारी हो चुकी है। इसके मुताबिक जिला पंचायत अध्यक्ष की 27 सीटें ओबीसी, 16 सीटें एससी और 12 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं इसके अलावा जिला पंचायत अध्यक्ष के 27 पद अनारक्षित यानी सामान्य रहेंगें।
दूसरी तरफ, जिला पंचायतत अध्यक्ष पदों की आरक्षण सूची के साथ, ब्लॉक आरक्षण की सूची भी जारी हो गई है। ब्लॉक प्रमुखों के कुल 826 पदों में से 314 पर अनारक्षित हैं इसके अलावा 113 पद महिला, 233 पद पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), और 171 पद अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित किए गए हैं।
उत्तर प्रदेश मे राजनीतिक हलचल तेज हो गई है
आपको बता दे कि उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत का आरक्षण जारी होने के बाद राजनीतिक हलचल तेज नजर आ रही है। राजनीतिक पार्टियों के साथ-साथ क्षेत्रीय स्तर पर पंचायत की राजनीति पर बारीकी से नजर रखने वाले भी अब सक्रिय हो गये हैं। आरक्षण जारी होने के बाद ऐसे कई दावेदारों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, जिन्होंने महीनों पहले से चुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी और चुनाव प्रचार में जुट गये थे।