राज्यसभा चुनाव से पहले चढ़ा सियासी पारा, कांग्रेस को सता रही विधायकों की चिंता

नई दिल्ली: ये वक्त जब कोरोनावायरस जूझती जनता के बीच जनप्रतिनिधियों को होना चाहिए तो उस वक्त राजस्थान की कांग्रेस सरकार अपने विधायक को बचाने में जुटी हुई है। इस सारी राजनीतिक उठा-पटक की मुख्य वजह 19 जून को राजस्थान की तीन सीटों के लिए होने वाले राज्य सभा चुनाव है।

अशोक गहलोत सरकार के डर की सबसे बड़ी वजह भाजपा की तरफ से विधायकों की संख्या के बिना उतारा गया अतिरिक्त उम्मीदवार है। जिसके चलते कांग्रेसी नेताओं में उहापोह की स्थिति है।

भाजपा ने उतारा अतिरिक्त उम्मीदवार

राज्य में विपक्षी पार्टी भाजपा ने राज्यसभा चुनाव के लिए अपना एक अतिरिक्त उम्मीदवार उतारा है भाजपा के पास एक सीट जीतने के ही पर्याप्त विधायक हैं, इसके बावजूद पार्टी ने राजेंद्र गहलोत और ओंकार सिंह लखावत को उम्मीदवार बना दिया है, वहीं कांग्रेस ने केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी को उम्मीदवार बनया है.

कांग्रेस के पास दो सीटों के लिए पर्याप्त विधायक हैं, लेकिन कांग्रेस को डर है कि उसके विधायकों के किले में सेंधमारी हो सकती है इसी के चलते उसने अपने कई विधायकों को रिजॉर्ट और होटलों में सुरक्षित रखा है।

भाजपा पर लगाया आरोप

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस सारी गहमा-गहमी के बीच भाजपा पर हॉर्स ट्रेडिंग की आरोप लगाया है उन्होंने कहा कि देश में दो महीने पहले तय समय पर राज्यसभा चुनाव हो सकते थे लेकिन भाजपा का हॉर्स ट्रेडिंग का टारगेट नहीं पूरा हुआ था। उन्होंने कहा,

“मोदी जी कहते हैं कि कांग्रेस मुक्त भारत बनाएंगे, भारत कांग्रेस मुक्त कभी नहीं होगा। देश के रग-रग में कांग्रेस है, देश के डीएनए में है। लेकिन मोदी जी, उनकी सरकार, उनकी पार्टी कब नेस्तनाबूद हो जाए आश्चर्य नहीं करना चाहिए क्योंकि जनता उनके कारनामों को देख चुकी है।”

इससेे पहले अशोक गहलोत भाजपा पर कांग्रेसी विधायकों को 25-25 करोड़ रुपए के लालच देने का आरोप भी लगा चुके हैं।

कांग्रेस ने राजस्थान एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) से शिकायत में कह चुकी है कि उसके विधायकों को खरीदने के लिए लालच दिए जा रहे हैं और ये खबर विश्वसनीय है इसलिए लोकतांत्रिक तरीके से बनी सरकार को भ्रष्टाचार करके अस्थिर करने के मंसूबे रखने वालों की जांच करके सख्त कार्रवाई करें।

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गुजरात में भी बिगड़ी स्थिति

राजस्थान के पहले गुजरात में भी ऐसी सी स्थिति हो चुकी है राज्यसभा चुनाव के पहले कांग्रेस के खेमें से आठ विधायकों ने खुद को अलग कर लिया। 24 मार्च से अब तक कांग्रेस के आठ विधायक इस्तीफा दे चुके हैं सभी ने भाजपा में जाने की बात कही है इसके अब बचे 65 विधायकों को बचाने के लिए छोटी-छोटी टुकड़ियों में होटलों और रिजॉर्ट में छिपे हुए हैं।

कांग्रेस की अंदरूनी कलह

कांग्रेस के आरोपों को लेकर भाजपा ने रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि ये कांग्रेस का अंदरूनी मसला है उनमें ही गति रोध है। भाजपा चाहे कुछ भी बोले पर इस बात को इतनी आसानी से नहीं माना जा सकता क्योंकि गुजरात, असम, मध्य-प्रदेश में कुछ इन्हीं तरकीबों के दम पर भाजपा ऑपरेशन लोटस लेकर चली है।

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