नई दिल्ली: आतंकवाद के खिलाफ भारत हमेशा से ही पाकिस्तान की खिलाफत करता रहा है। पाकिस्तान चीन की मदद से हर बार की तरह एक बार फिर से संयुक्त राष्ट्र में चीन का मुद्दा छेड़ बैठा लेकिन इस बार भारत ने उसे आड़े हाथों ले लिया। भारत ने पाकिस्तान में छिपे और गठित आतंकी संगठनों को खत्म करने की मुहिम चलाने के लिए वैश्विक मंच पर प्रस्ताव रख दिया, और पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई के विभिन्न सुझाव दे दिए।
भारत ने बोला हमला
दरअसल, संयुक्त राष्ट्र में भारत की तरफ से कहा गया कि जिस तरह आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठन से लड़ने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने कार्रवाई की थीं ठीक वैसी ही कार्रवाई अब संयुक्त राष्ट्र को पाकिस्तान में आतंकवादियों के अड्डो, दाउद इब्राहिम लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद पर करनी चाहिए और आतंक को नेस्तनाबूद कर देना चाहिए। इसके साथ ही भारत ने पाकिस्तान के समर्थन के लिए चीन को भी सांकेतिक रूप से कड़े शब्दों में लताड़ा है।
एक साथ आने का संदेश
भारत के प्रतिनिधि ने संयुक्त राष्ट्र को पाकिस्तान के आतंकवाद से लड़ने के सुझाव दिए। उन्होंने कहा है कि आईएसआईएस के खिलाफ वैश्विक एकता की ताकत सभी के सामने आ चुकी है। इसी एकता के जरिए पाकिस्तान के आतंकी संगठनों पर संयुक्त राष्ट्र को मिलकर कार्रवाई करनी चाहिए साथ ही पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अख्तियार करना चाहिए।
इसके साथ ही भारत ने टेक्नोलॉजी बढ़ाने का सुझाव दिया है जिससे दुनिया भर में फैले आतंकी संगठनों के नेटवर्क को तोड़ने में मदद मिलेगी। मुंबई हमले का जिक्र करते हुए भारत ने कहा कि आतंकी संगठन दुनिया की नजरों से बचकर अपने आतंकवाद का नेटवर्क चलाते हैं जिस पर सशक्त टेक्नोलॉजी से लगाम लगनी चाहिए।
क्या हो सकतीं हैं नीतियां
पाकिस्तान के आंतकवाद को लेकर भारत की ओर मशविरा दिया गया कि यूएनएससी रेजोल्यूशन के तहत सभी देश अपने यहां बने आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए इसे खत्म करेंगे।
इसके साथ ही भारत ने एफएटीएफ के ढांचे को मजबूत करने की बात कही जिससे पाकिस्तान को मिलने वाली आर्थिक मददों पर रोक लगे। भारत ने इसके लिए संस्था के अधिकारों बढ़ाकर उसे अधिक शक्ति प्रदान करने की वकालत की है।
आतंकवाद ही प्राथमिकता मुद्दा
गौरतलब है पाकिस्तान ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का मुद्दा उठाया लेकिन किसी भी देश ने इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दी। दूसरी ओर भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य बन चुका है और जब वो आधिकारिक तौर पर शामिल हो जाएगा तो उसका प्राथमिक मुद्दा आतंकवाद ही होगा जिससे पाकिस्तान की मुसीबतें और अधिक बढ़ेगी।