जयपुर: जब राजस्थान की राजनीति में कांग्रेस खेमा उथल-पुथल मचा रहा है इस वक्त राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया का कोई अता-पता नहीं है। कांग्रेस खेमे में जहां उपमुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री सत्ता के लिए लड़ गए। ऐसे वक्त में मुख्य विपक्षी दल की नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया का इस पूरे मामले में चुप्पी साधना भाजपा की अंदरूनी राजनीति की कलह बताता है।
कुछ नहीं बोलीं वसुंधरा
कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई में जहां बीजेपी का केंद्रीय मोर्चा दिलचस्पी ले रहा है तो दूसरी ओर राज्य की सबसे बड़ी नेता ने इस मामले में कुछ भी नहीं बोला है। वो इस पूरे मामले पर नजर तो रख रहीं हैं वो लेकिन वो इस मामले पर बिल्कुल चुप हैं। वसुंधरा इस पूरे मामले के दौरान अपने धौलपुर वाले महल में ही रहीं हैं साथ ही किसी भी तरह का बयान नहीं दिया गया है वो इस पूरे मसले के बीच एक बार भी जयपुर तक नहीं आई हैं।
वसुंधरा राजे के पास ज्यादा विधायक
विधानसभा के मुताबिक इस वक्त भाजपा के अपने दम पर 72 विधायक हैं लेकिन बड़ी बात ये कि इसमें से ज्यादातर विधायक वसुंधरा सिंधिया के गुट के ही हैं ऐसे में वसुंधरा का पलड़ा ज्यादा भारी है। इसलिए जब तक वसुंधरा राजे कुछ नहीं बोलेंगी तब तक बीजेपी कुछ नहीं कर सकता और वसुंधरा केंद्रीय नेतृत्व के मामले में समर्थन देंगी भी या नहीं इस पर भी संदेह बना हुआ जिसके चलते केंद्र की प्लानिंग भी फ्लॉप हो गई है।
क्या थी बीजेपी की प्लानिंग
कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई को देख बीजेपी ने राजस्थान के लिए ऑपरेशन लोटस की प्लानिंग की थी। बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व की सोच थी कि अगर कांग्रेस से सचिन पायलट भाजपा में आते हैं तो ये काम वसुंधरा की सहमति होनी चाहिए और मुख्यमंत्री कौन बनेगा वसुंधरा राजे सिंधिया या फिर सचिन पायलट! बीजेपी इस पूरे मसल पर रणनीति बनाती रही लेकिन वसुंधरा राजे सिंधिया की चुप्पी ने खुद बीजेपी की प्लानिंग फेल कर दी।
बड़ा है वसुंधरा का रसूख
वसुंधरा राजे सिंधिया और अशोक गहलोत के बीच रिश्ते पहले भी अच्छे रहें हैं। इसलिए बीजेपी के सामने यह भी दिक्कत थी कि वसुंधरा गुट के विधायक किसका समर्थन करेंगे… बीजेपी का या गहलोत का ? दूसरी ओर अशोक गहलोत वसुंधरा राजे सिंधिया को वक्त-वक्त पर बचाते रहे हैं। हाईकोर्ट ने वसुंधरा राजे को सरकारी बंगला खाली करने को कहा था लेकिन गहलोत ने उस मामले पर कोई एक्शन नहीं लिया। वसुंधरा राजे अभी भी उसी बंगले में रह रही हैं।
वहीं इसके विपरीत जब कांग्रेस के ही एक पूर्व मुख्यमंत्री के बंगले को खाली करने के लिए कोर्ट का नोटिस आया तो गहलोत ने तुरंत एक्शन ले लिया था। बीजेपी को भी यह संदेह है कि राजस्थान में गहलोत सरकार को बचाने में वसुंधरा राजे सिंधिया की चुप्पी का एक बड़ा रोल है। वसुंधरा राजे इस वक्त भले ही राज्य में मुख्यमंत्री नहीं हैं लेकिन उनका रसूख किसी से कम नहीं है राज्य में बीजेपी के नेताओं में सबसे बड़ा नाम वसुंधरा का ही है।
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