मुंबई- पंकज त्रिपाठी, जाह्नवी कपूर, अंगद बेदी जैसे सितारों से लैस ‘गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल’, एक महिला की जिंदगी से जुड़ी कई कहानियां कहती है। ये सिर्फ देशभक्ति की कहानी नहीं है, बल्कि एक महिला के संघर्षों और सपनों को पूरा करने की जिद की दास्तान है। गुंजन सक्सेना में डारेक्टर शरण शर्मा ने एक जांबाज महिला की कहानी के जरिए पिता-बेटी के रिश्ते से लेकर उस दौर में पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली महिला को लेकर समाज की मानसिकता तक की कहानी कह डाली है।
फिल्म में एक ऐसी लड़की की कहानी दिखाई गई है, जिसके सपने बहुत बड़े हैं और उस वक्त की समाज की सोच से परे हैं। ये कहानी सिर्फ यहीं नहीं रुकती। इसमें पिता और बेटी के बीच गहरी समझ का रिश्ता। महिलाओं को लेकर समाज, यहां तक की उसके भाई की रूढ़ीवादी सोच, एयरफोर्स में अपनी जगह पाने के लिए लड़ती एक गुजंन सक्सेना की कहानी आपको एक महिला की जिदगी के कई पहलू दिखाएगी।
बोलीं जाह्नवी कई आदतें मिलती हैं गुंजन मैडम से
जाह्नवी बोलीं की हमारे दोनों के पिता ने हमारा साथ दिया, हर मोड़ पर आगे बढ़ने का हौसला दिया। हमारे दोनों के पिता इस दुनिया के सबसे अच्छे पिता हैं। जाह्नवी ने कुछ दिनों पहले अपने पिता बोनी कपूर के साथ फोटो भी पोस्ट की थी। उन्होंने कहा कि गुंजन मैडम की तरह मुझे भी मिठाइयों से काफी प्यार है।
फिल्म से अपने टेकअवे और गुंजन से सीखने के बारे में बात करते हुए जान्हवी ने कहा, यह सब कि अपने काम के प्रति आपने जो लगन और कड़ी मेहनत की है, वह दिखतीं हैं। आपका दृष्टिकोण बहुत सरल था, अगर तुम कड़ी मेहनत करते रहो, तो आपको जो चाहिए वह मिल ही जाएगा।
गुंजन मैडम ने कड़ी मेहनत से समाज को अपनी योग्यता मानने पर किया मजबूर
जान्हवी ने कहा कि जैसे गुंजन सक्सेना ने समाज के निर्माण या लैंगिक पूर्वाग्रह या किसी भी चीज कीं उसके दिमाग में बाधा नहीं बनने दीं, या फिर उसने कभी खुद को प्रताड़ित भी नहीं किया, बल्कि इसके बजाय सिर्फ अपने काम पर ध्यान केंद्रित कर कड़ी मेहनत से समाज को अपनी योग्यता मानने पर मजबूर कर दिया, जो मुझे सबसे ज्यादा प्रेरित करती है।
कारगिल युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी गुंजन सक्सेना ने
गुंजन सक्सेना ने 1999 में हुए कारगिल युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी। उनकी बहादुरी के लिए उन्हें शौर्य चक्र दिया गया था। कहा जाता है कि 5 साल की उम्र में उन्होंने जब पहली बार फाइटर प्लेन देखा था, तभी से इसे उड़ाने का सपना देखने लगी थीं।
कौन है गुंजन सक्सेना
गुंजन एक आर्मी फैमिली में पली बढ़ी हैं, गुंजन अपने पिता लेफ्टिनेंट कर्नल अशोक सक्सेना और भाई को देखकर पायटल बनने की सपना देखती हैं। पिता गुंजन को मोटिवेट करते हैं। गुंजन बाद में दिल्ली आती हैं और दिल्ली यूनिवर्सिटी में ग्रैजुएशन में एडमिशन कराती हैं। इसके साथ ही वह अपने मन में पायलट बनने का ख्वाब भी बुनती रहती है। बाद में वह सफदरजंग फ्लाइंग क्लब में एडमिशन लेकर प्लेन उड़ाने की ट्रेनिंग लेती है। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद वह कई जगह अप्लाई करती हैं, लेकिन हर जगह रिजेक्शन हाथ लगता है। साल 1994 में गुंजन का चयन शॉर्ट सर्विस कमिशन के तहत इंडियन एयरफोर्स की महिला ट्रेनी पायलट के रूप में होता है। इसके बाद गुंजन के संघर्षों की कहानी शुरू होती है।