नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग सो झील के दक्षिणी किनारे पर भारतीय सेना की कार्रवाई से बौखालाए चीन ने इस इलाके में कई जगहों पर और ज्यादा सैनिक तथा टैंक भेजे हैं। सैटलाइट से प्राप्त तस्वीरों से ज्ञात हुआ है कि चीन के गतिरोध वाले बिन्दुओं पर अपनी स्थिति को और ज्यादा ताकतवर कर रहा है। वहीं चीन इन एरिया में नए सैन्य ठिकाने बनाने में लग गया है।
टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार चीन की इस कार्रवाई से ये नजर आ रहा है कि भारत व चीन के रक्षा मंत्रियों के बीच मास्को में वार्ता के बाद भी तनाव कम ही नहीं हो रहा है। वहीं चीन अब सभी गतिरोध वाले स्थानों पर ज्यादा सैनिक व टैंक तैनात कर रहा है। सूत्रों के अनुसार दोनों ही पक्षों के लगभग 1 लाख सैनिक पूर्वी लद्दाख में तैनात हैं। जहां एक तरफ चीन वार्ता की टेबल पर तनाव को कम करने की बात कर रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ वह लगातार अपनी सैन्य तैयारी को और भी ज्यादा मजबूत करने के प्रयास में जुटा हुआ है।
भारतीय सेना ने भी बढ़ाई अपनी तैनाती
बता दें कि इससे पहले 29 व 31 अगस्त के बीच चीन की सेना ने उकसावे की कार्रवाई करते हुए पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर यथास्थिति को बदलने की कोशिश की थी। वहीं भारतीय सेना ने उसे असफल कर दिया था। इतना ही नहीं बाद में भारतीय सैनिकों ने पैंगोंग के दक्षिणी किनारे पर स्थित करीब सभी चोटियों पर कब्जा कर लिया था। वहीं चीन के सैनिकों की ज्यादा तैनाती होने से दक्षिणी किनारे पर तनाव बढ़ गया है।
इस कार्रवाई का जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने अपनी तैनाती को और बढ़ा दिया है। बता दें कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मास्को में चीनी रक्षामंत्री को बहुत कड़े अंदाज में जवाब देते हुए कहा था कि पूर्वी लद्दाख में तनाव का कारण चीनी सैनिकों का आक्रमक रवैया है और ऐसा चलता रहा तो भारत अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है। रूस की राजधानी मॉस्को में चीन के रक्षामंत्री जनरल वेइ फेंघे से हुई बातचीत के दौरान राजनाथ सिंह ने यह संदेश दे दिया है।
चीन की इन हरकतों पर राजनाथ ने जताई नाराजगी
रक्षामंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि, ‘रक्षामंत्री ने चीनी सैनिकों की कार्रवाइयों, उनका आक्रामक व्यवहार व द्विपक्षीय संधियों का उल्लंघन करते हुए जमीनी हालात को एकतरफा बदलने की कोशिश के मुद्दे पर जोर दिया। उन्होंने सीमा पर चीन की तरफ से बड़ी संख्या में फौजियों को भेजने का मुद्दा भी उठाया।
शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के इतर भारत-चीन के रक्षा मंत्रियों के बीच हुई बातचीत को लेकर ट्विटर पर दी गई जानकारी में कहा गया है कि भारत सीमा प्रबंधन के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है और निभाता रहेगा, लेकिन अपनी संप्रभुता और अखंडता से कभी कोई समझौता नहीं करेगा।