कोझीकोड- दुर्घटनाग्रस्त एयर इंडिया एक्सप्रेस के मुख्य पायलट दीपक वसंत साठे सर्वाधिक अनुभवी कमांडरों में एक थे। नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शनिवार को बताया कि उनके पास दस हजार घंटे से अधिक उड़ान का अनुभव था और पहले वह कारीपुर हवाई अड्डे पर 27 बार विमान की लैंडिंग करा चुके थे। दीपक साठे की शुक्रवार को हुए प्लेन हादसे में उनकी जान चली गई।
एयरपोर्ट के तीन चक्कर लगाए, ताकि फ्यूल खत्म हो जिससे कि आग न लगे
दीपक साठे ने अपने अनुभव और सूझबूझ से सैंकड़ों यात्रियों को बचा लिया। प्लेन में आग लग जाती तो बहुत से लोग मारे जाते। दीपक के कजिन और दोस्त नीलेश साठे ने फेसबुक पोस्ट में बताया कि दीपक ने किस तरह प्लेन को आग लगने से बचाया। प्लेन के लैंडिंग गियर्स ने काम करना बंद कर दिया था। दीपक ने एयरपोर्ट के तीन चक्कर लगाए, ताकि फ्यूल खत्म हो जाए। तीन राउंड के बाद प्लेन लैंड करवा दिया। उसका राइट विंग टूट गया था। प्लेन क्रैश होने से ठीक पहले इंजन बंद कर दिया। इसलिए एयरक्राफ्ट में आग नहीं लगी।
6 महीने भर्ती रहे अस्पताल में, तब लोगों ने सोचा कि शायद अब प्लेन नहीं उड़ा पाएंगे
कैप्टन साठे के चचेरे भाई नीलेश साठे ने फेसबुक पोस्ट में लिखा, दीपक को विमान उड़ाने का 36 साल का अनुभव था। 2005 में एयर इंडिया से बतौर कॉमर्शियल पायलट जुड़ने से पहले वह वायु सेना में रहे थे। 1990 के आसपास वायु सेना में रहने के दौरान भी उन्होंने एक विमान हादसे का सामना किया था। उन्हें छह महीने अस्पताल में रहना पड़ा था। किसी ने नहीं सोचा था कि वह दोबारा उड़ान भरेंगे। लेकिन अपनी मजबूत इच्छाशक्ति और उड़ान को लेकर अपनी चाहत के दम पर उन्होंने फिर खुद को तैयार कर लिया। वह क्षण किसी चमत्कार जैसा ही था।
एक कविता समर्पित की दीपक साठे को
यह कविता नीलेश ने दुर्घटनाग्रस्त एयर इंडिया एक्सप्रेस के जांबाज पायलट दीपक साठे को समर्पित की है।
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