नई दिल्ली- कोरोना काल में कितने प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौटे, कितनों की रास्ते में मौत हुई। इसपर केंद्र सरकार ने पहले कहा कि इसका डाटा हमारे पास नहीं है। लेकिन फिर बाद में सरकार ने मंगलवार को संसद में कहा कि मार्च से जून 2020 के दौरान 1.06 करोड़ से अधिक प्रवासी मजदूर अपने गृह राज्यों में वापस लौटे। 9 सितंबर तक कुल 97 मजदूरों की मौत हुई थी। इसमें कोविड-19 महामारी के चलते लगाए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान यात्रा करने वाले लोग भी शामिल थे। सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री वीके सिंह ने ये जानकारी दी।
उत्तर प्रदेश में 32.5 लाख प्रवासी मजदूर लौटे
केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने लोकसभा को बताया कि “कोविड-19 के चलते बड़ी संख्या में श्रमिक अपने काम करने की जगहों से अपने गृह-राज्यों में चले गए।” मंत्री ने संसद में राज्यवार उन मजदूरों का डाटा शेयर किया, जो कोरोना की वजह से अपने घर वापस लौट गए। सरकारी डाटा के अनुसार, सबसे अधिक प्रवासी मजदूर उत्तर प्रदेश (32.5 लाख), बिहार (15 लाख) और पश्चिम बंगाल (13.8 लाख) को लौटे हैं, लेकिन 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों लौटे मजदूरों का डाटा सरकार के पास मौजूद नहीं हैं। वहीं रेल पीयूष गोयल ने संसद में बताया कि 1मई से 31 अगस्त तक 4,621 श्रमिक ट्रेनें चलाई गईं। इनके माध्यम से 63.19 लाख मजदूरों को देशभर में उनके घर पहुंचाया गया। वहीं उन्होंने ये भी बताया कि रेलवे ने श्रमिक स्पेशल ट्रेन के यात्रियों को 1.96 करोड़ मील (खाने) और 2.19 करोड़ पैकेटबंद पानी मुहैया कराया। वहीं, राज्य सरकारों द्वारा भी 46.2 लाख मील (खाने) और बोतल बंद पानी यात्रा के दौरान मजदूरों को दिया।
तीन माह में 29,415 लोगों की हादसों में गई जान
श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान मार्च-जून 2020 की अवधि के दौरान सड़कों पर (राष्ट्रीय राजमार्गों सहित) 81,385 दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें 29,415 लोगों की जान चली गई। हालांकि, मंत्रालय की ओर से कहा गया कि लॉकडाउन के दौरान सड़क दुर्घटना में मारे गए प्रवासी श्रमिकों के संबंध में अलग-अलग डेटा नहीं तैयार किया है।