दिशा रवि

दिल्ली पुलिस के अनुसार, दिशा रवि के मोबाइल से काफी सबूत मिले हैं लेकिन काफी डेटा डिलीट भी मिला है, दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने खुलासा किया है कि दिशा रवि, निकिता जैकब और शांतनु ने टूलकिट को बनाया और एक दूसरे के साथ शेयर किया।

पुलिस के अनुसार दिशा रवि, निकिता और शांतनु ने टूलकिट बनाया है

दिशा रवि

किसान आंदोलन से संबंधित टूलकिट मामले में दिल्ली पुलिस की साइबर सेल में ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर प्रेमनाथ ने खुलासा करते हुए सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में दावा किया, दिशा रवि, निकिता जैकब और शांतनु ने टूलकिट डॉक्यूमेंट बनाया और एक दूसरे के साथ भारत की छवि खराब करने के मकसद से शेयर भी किया।

टूलकिट डॉक्यूमेंट मामले में दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने कहा, “जैसा कि हम जानते हैं कि 26 जनवरी को बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। 27 नवंबर से किसान आंदोलन चल रहा था। 4 फरवरी को हमें टूलकिट के बारे में जानकारी मिली जो कि खालिस्तान सगठनों की मदद से बनाया था”।

पुलिस ने गैर-जामानती वॉरंट जारी किया है

दिल्ली पुलिस कमिश्नर

 

पुलिस के मुताबिक, दिशा ने ही टूलकिट क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग के साथ शेयर किया था। कमिश्नर ने बताया कि, दिशा रवि को बेंगलुरु से गिरफ्तार करने के बाद दिल्ली पुलिस ने टूलकिट मामले में निकिता और शांतनु के खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट जारी किया है। पुलिस के अनुसार, 9 फरवरी को निकिता के खिलाफ सर्च वारंट जारी हुआ था, और 11 फरवरी को निकिता के घर पर छापा मारा गया लेकिन वो फरार हो गई। पुलिस ने दावा किया है कि, निकिता और शांतनु ने 11 जनवरी को एक जूम मीटिंग में हिस्सा लिया था, जिसे खालिस्तानी समर्थक संस्था पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन ने आयोजित किया था।

टूलकिट के तार विदेश से जुड़े है।

दिशा रवि

दिल्ली पुलिस ने बताया,” कनाडा में रहने वाली पुनीत नामक एक महिला उनके संपर्क में थी और पुनीत का संबंध खालिस्तान समर्थकों से है”। उन्होंने कहा, “जांच के दौरान टूलकिट के ऑनलाइन मौजूद स्क्रीन शॉट्स की पड़ताल की गई है और जांच में प्राप्त जानकारी मिलते ही इस टूलकिट डॉक्यूमेंट की संपादक निकिता जैकब के खिलाफ सर्च वारंट जारी कर एक टीम को मुंबई भेजा गया, जहा उनके पास से 2 लैपटॉप और 1 आई फोन मिला है”।

पुलिस के मुताबिक, दिशा रवि के मोबाइल से काफी सबूत मिले हैं लेकिन काफी डेटा डिलीट भी मिला है। पुलिस के अनुसार शांतनु और दिशा एक एक्सआर नाम के एनजीओ से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि इन तमाम लोगों का मकसद गणतंत्र दिवस से पहले और बाद में ट्वीटर पर स्टॉर्म और डिजिटल स्ट्राइक करना था