दिल्ली की सबसे फेमस मार्केट में चांदनी चौक का नाम सबसे पहले आता है। दिल्ली की ये एक मात्र ऐसी बाजार है, जहां पर हर तरह की चीजें बिकती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर ये बाज़ार क्यों बना था? आखिर इसे किस मकसद से बनवाया गया था। लाल किले के इतने पास इस बाज़ार को बनवाया किसने? ये कुछ ऐसे सवाल है जो चांदनी चौक पर मार्केटिंग करते करते आपके दिमाग में एक बार आते तो जरूर होंगे। तो चलिए आज हम आपको इस चांदनी चौंक मार्केट की कुछ खास बातों से रूबरू करवाते हैं।
किसने बनवाई ये बाजार
आपकों बता दें कि चांदनी चौक आज कल की बसाई कोई बाजार नहीं है। इस बाजार के पीछे एक बड़ा इतिहास है। ये बाज़ार आज की नहीं बल्कि मुगलों के समय में स्थापित किया गया था। ये वो दौर था जब दिल्ली सल्तनत शाहजहाँ के हाथों में हुआ करती थी। सभी मुग़ल बादशाहों की तरह शाहजहाँ ने भी अपने राज्य के दौरान कई चीज़ें बनवाई थी, जिसमें से एक है मशहूर चांदनी चौक भी है।
वैसे तो शांहजहां ने बहुत सी चीजें सब अपने लिए ही बनवाई थी, लेकिन उनकी बनवाई इस चांदनी चौक बाजार के पीछे उनकी पुत्री जहानारा का हाथ था। शांहजहां के बेहद करीबी बेटी होने के कारण शाहजहां उनकी हर एक बात को तवज्जों देते थे। उनके लिए हर मुमकिन से मुमकिन चीजें करते थे।
खरीददारी की शौकीन थी जहानारा
शाहजहां की बेटी जहानारा खरीददारी करने की बहुत ही ज्यादा शौखीन हुआ करती थी, जो कुछ भी उनके मन को भाता वो तुरंत उस चीज को उसका मोल चुकाकर खरीद डालती थी। उनका ये खरीददारी का शौक उन्हें दूर दूर तक भी ले जाता था। उस समय सफ़र करने में कई-कई दिन बीत जाते थे और जहानारा लंबे समय तक घर से दूर रहती थीं। ऐसे में शहाजहां ने सोचा कि क्यों न एक ऐसा बाज़ार बनाया जाए, जहां पर हर बड़ा व्यापारी आए और जहानारा को कहीं दूर न जाना पड़े। इसीलिए शाहजहां ने चांदनी चौक बाजार की स्थापना करवाई।