प्राचीन समय से ही भवन के मुख्य दरवाजे के ऊपर तथा दरवाजे के दाएं और बाएं किसी ना किसी मांगलिक चिन्हों का प्रयोग किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि मांगलिक चिन्हों का प्रयोग करने से घर स बुरे साये दूर रहते हैं. और साथ ही सुख, शांति, समृद्धि बनी रहती है. ऐसा करने से हमारे परिवार में खुशी बनी रहती है,इसीलिए किसी भी मांगलिक कार्यक्रम के शुभ अवसर पर स्वास्तिक बनाने की परंपरा है. ऐसा माना जाता है, कि स्वास्तिक बनाने के दौरान उसकी चार भुजाएं समांतर रहनी चाहिए और इन चिन्हों से आपके घर में वास्तु दोष भी नहीं रहता.
क्यों लगाते हैं मुख्य द्वार पर ये चिन्ह
ऐसा माना जाता है कि मुख्य द्वार पर मांगलिक चिह्न को लगाने से घर में प्रवेश करने वाले व्यक्ति के साथ सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है. इनको बनाने या इनको प्रतीक के रूप में लगाने से घर में सुख, शांति एवं मांगलिक प्रभाव उत्पन्न होते हैं. यह मांगलिक चिह्न हमारी संस्कृति व सभ्यता की धरोहर है. इसीलिए संसार में हर धर्म हर संप्रदाय के लोग अपने अपने धर्म से संबंधित मांगलिक चिह्न का प्रयोग करते हैं, जिससे वह नकारात्मक ऊर्जा को बाहर निकाल फेंके तथा लोग सुरक्षित रहें.
स्वास्तिक शब्द के विश्लेषण से इसका अर्थ स्वस्ति या क्षेम करने वाला होता है. इसे भगवान श्री गणेश का लिपिआत्म स्वरूप भी माना जाता है. स्वास्तिक की रचना दो रेखाओं से होती हैं. दोनों रेखाओं की मध्य में समकोण दशा में विभाजित करके उनके सिरों पर बाई ओर से दाएं और समकोण बनाते हुए आकार दिया जाता है.
स्वास्तिक के चारों ओर के सिरों पर समकोण पर मुड़ी हुई रेखाएं अनंत मानी गई है. स्वास्तिक का बायां भाग भगवान श्री गणेश की शक्ति का स्थान बीज मंत्र होता है. इसकी चारों दिशाओं को एक सामान शुद्ध किया जाता है.
ॐ चिह्न से क्या होंगे लाभ
ओम शक्ति का प्रतीक माना जाता है. किसी भी मंत्र का उच्चारण करते समय सबसे पहले ॐ का प्रयोग किया जाता है. ॐ के चिन्ह को घर में लगाने या बनाने से कई दोषों का नाश होता है.
दरवाजे और चौखट पर भी इसे अंकित करना चाहिए मुख्य द्वार पर इसे लगाने से आने वाले विपदा को ये दूर भगाता है और साथ ही परिवार में सुख, शांति बनाएं रखता है व उनकी रक्षा करता है.