संजीत यादव हत्याकांड और अजय देवगन की फिल्म ‘दृश्यम’ का क्या है कनेक्शन, जाने

कानपुर: उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए ये वक्त कुछ अच्छा नहीं चल रहा है, आए दिन पुलिस की नाकामी प्रशासन की मुसीबतें बढ़ा रहीं हैं। संजीत यादव हत्याकांड भी इनमें शामिल हैं जिसमें पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। एक बार अब फिर पुलिस शक के घेरे में क्योंकि संजीत यादव हत्याकांड में परिजन अब फिर पुलिस पर सवाल उठा रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि आरोपी बार-बार रटा-रटाया बयां दे रहे हैं।

दोहरा रहे हैं ‘दृश्यम’

संजीत यादव हत्याकांड और अजय देवगन की फिल्म ‘दृश्यम’ का क्या है कनेक्शन, जाने

दरअसल संजीत यादव हत्याकांड को लेकर संजीत के परिजन का कहना है कि पुलिस द्वारा जो गवाह तैयार किए गए हैं वो सभी माइंड वाश किए लगते हैं सभी एक से ही रटे-रटाए बयान दे रहे हैं और ऐसा लगता है कि सब पुलिस ने समझाया है। ये कहानी कुछ ऐसी ही है जैसे 2015 में बॉलीवुड अभिनेता की फिल्म ‘दृश्यम’ में थी।

ब्रेनवॉश्ड है ये पड़ोसी

दरअसल, संजीत यादव के इस हत्याकांड में 1500 रुपए में एक घर किराए पर लिया गया था, जिसमें ये सभी आरोपी रहते थे। ऐसे मामलों में पड़ोसी। कुछ भी बोलने से बचते हैं लेकिन इस मामले में पड़ोसी मामले में महिला सबकुछ बार-बार एक ही तरह का बदलाव ला रही है और एक भी चीज नहीं बदल रही है जोकि ये शक पैदा कर रही है कि उसे सबकुछ सिखाया गया है।

क्या बताए मुख्य बिंदु

इस महिला ने संजीत यादव हत्याकांड को लेकर बताया कि ये आरोपी कुछ दिन पहले ही आए थे, इनके पास गृहस्थी का कोई सामान नहीं था। कभी कभी कमरें से कराहने की आवाजें आतीं थी। ये सभी दिन भर गायब रहते थे और रात में आते थे इनके पास फोर्ड की गाड़ी थी जिस पर रक्षा मंत्रालय लिखा था जिसके चलते  इनके काम करने के पेशे पर ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई।

तारीख तक है याद

पुलिस का कहना है कि फिरौती के बैग में नकली नोट थे और इस मामले में पुलिस की तरफ से जो गवाह है वो दुकानदार है जो कह रहा है कि बर्रा तीन की उसकी दुकान से 30-35 साल का युवक चूरन वाले नकली नोट ले गया था। एक तरफ वो ये बताता है कि वो काफी सालों से ये काम कर रहा है तो सवाल ये भी है कि कैसे उसे तारीख याद है आम जिंदगी में तो लोग ग्राहक की शक्ल तक भूल जाते हैं।

संजीत यादव हत्याकांड और अजय देवगन की फिल्म ‘दृश्यम’ का क्या है कनेक्शन, जाने

पिता ने उठाए सवाल

संजीत यादव हत्याकांड में संजीत के पिता ने भी एक बड़ा सवाल उठा कर पुलिस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। दरअसल संजीत के पिता ने बताया कि पुलिस मुख्य आरोपी ज्ञानेंद्र की कार उसके घर से रतनलाल नगर पुलिस चौकी तक क्रेन से लाई है तो वो कार चलने लायक कैसे हो गई वो तो चलने की स्थिति में थी ही नहीं। पिता के इस सवाल पर पुलिस द्वारा बनाई गई महिला पड़ोसी की स्टोरी फ्लॉप होती दिख रही है।

नकली नोटों की थ्योरी

आपको बता दें कि संजीत यादव हत्याकांड में संजीत का 22 जून को अपहरण करने के बाद उसे भागने की कोशिश में अपरहणकर्ताओं ने मार कर लाश पांडु नदी में फेंक दी थी जो अभी तक नहीं मिली है। जिसके बाद 29 जून को फिरौती में 30 लाख रुपए की मांग की। पुलिस ने परिजनों को फिरौती देकर वहीं पर पकड़ने की बात कही जिस पर इंतजाम करके पैसा दिया गया और संजीत तो मर ही चुका था।

इसके बाद में अब आरोपी पकड़े गए तो पता चला फिरौती तो मिली ही नहीं जिसके बाद नए सवाल खड़े रहे हैं जहां पुलिस नकली नोटों की बात कह रहीं हैं तो वहीं परिजन इसे झूठ बता रहे हैं।

 

 

 

 

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