बहुत ही दंपत्ति के बीच ऐसा प्यार देखने को मिलता है कि एक ने दुनिया छोड़ी तो दूसरा भी उसकी जुदाई को बर्दाश्त नहीं कर सका और अपने प्राण त्याग दिए। ऐसा ही एक ताजा मामला सामने आया है संतकबीर नगर से जहां, अपने बुर्जुग पति की मृत्यु के बाद पत्नी के भी प्राण पखेरू उड़ गए।
मामला कुछ ऐसा है कि एक ओर जब पति की अर्थी सजाई जा रही थी उसी बीच पत्नी को अंतिम दर्शन के लिए बुलाया गया। पत्नी ने जैसे ही पति के चरण छुए वैसे ही उनकी भी एकाएक हालत बिगड़ी और दिल का दौरा पड़ने से उनकी भी मृत्यु हो गई।
उत्तरप्रदेश के संतकबीरनगर खलीलाबाद कोतवाली के भैंसहियां गांव में सात जन्मों तक साथ निभाने का वादा करने वाले पति-पत्नी ने 24 घंटे के अंतराल में एक साथ दुनिया छोड़ दी।
कैंसर पीड़ित 70 वर्षीय रिटायर्ड शिक्षक सीताराम की सोमवार को मृत्यु हो गई। घर और मोहल्ले वाले अंतिम दर्शन करने के बाद अत्येंष्टी की तैयारी कर रहे थे। इसी बीच सीताराम की धर्मपत्नी मालती देवी पति के अंतिम द्रर्शन के लिए पहुंची। अंतिम दर्शन के दौरान पति का चेहरा देखते ही मालती की हालत बिगड़ गई और पति के मौत का गम उनसे बर्दाश्त नहीं हुआ।
एकाएक दिल का दौरा पड़ने से मालती देवी की भी सांसे थम गईं। परिवार के दोनों मुखिया की एक साथ मृत्यु से पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। परिवारीजन करुण क्रंदन कर रहे थे। उन्होंने सीताराम के साथ ही मालती देवी की भी अर्थी सजाई। दोनों शवों को अगल-बगल रखकर एक साथ शवयात्रा निकाली गई। यह देख पूरे गांव में उनके प्यार और त्याग की चर्चा जोरो पर रही।
दोनों को एक साथ दफनाया गया
सीताराम का परिवार हिंदू होने की वजह से उनका दाह संस्कार भी हिंदू रीति-रिवाज से होना चाहिए था। लेकिन बेटे दिलीप और अन्य परिवारीजनों ने मिलकर यह तय किया कि जब एक साथ दोनों की मृत्यु हुई है तो उनका दाह संस्कार न करके एक साथ दफनाया जाए। दिलीप ने बताया कि उनके पिता अपने जीवन काल में कई बार यह बात कह चुके थे कि उनके शव का दाह संस्कार न करके खेत में दफनाया जाए। उनकी इसी अंतिम इच्छा को ध्यान में रखते हुए बेटे ने पिता और माता को एक साथ खेत में दफनाया।