बजट सत्र

बजट सत्र आज से शुरू हो रहा है, और देश का बजट एक फरवरी को पेश किया जाएगा। बजट सत्र की शुरुआत होने से पहले ही विवाद होना शुरू हो गया है। कांग्रेस समेत 18 राजनीतिक पर्टियों ने कहा है कि वे बजट सेशन के पहले दिन होने वाले राष्ट्रपति के अभिभाषण बहिष्कार करेंगी।

कौन-सी पार्टियों ने बहिष्कार का फैसला किया है।

बजट सत्र आज से शुरू, विपक्षी पार्टियां करेंगी राष्ट्रपति के भाषण का बहिष्कार

बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को बजट सत्र की शुरुआत से पहले संबोधित करने के साथ शुक्रवार को बजट सत्र का आगाज होगा। लेकिन विपक्षी दलों ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के प्रति एकजुटता दिखाते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के बहिष्कार का फैसला किया है।

ये पार्टियां हैं- कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस, डीएमके, तृणमूल कांग्रेस, शिव सेना, सामाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, रिवॉतल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, एमडीएमके, केरल कांग्रेस (मनी), एआईयूडीएफ़।

क्या कहा अपने साझा बयान में

बजट सत्र आज से शुरू, विपक्षी पार्टियां करेंगी राष्ट्रपति के भाषण का बहिष्कार

इन सभी पर्टीयों ने एक साझा बयान जारी कर कहा है कि केंद्र सारकार के पास किए गए तीनों क़ानून राज्यों और संविधान की संघीय भावना का उल्लंघन है। बायान में आगे कहा गया है कि इन क़ानूनों को पास करने के पहले न तो राज्यों के साथ चर्चा की गई, न किसान नेताओं और न ही इसके लिए देश के लोगों से बात की गई थी।

विपक्षी दलों के नेताओं ने जारी बयान में कहा, किसानों की मांगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार अहंकारी, अड़ियल और अलोकतांत्रिक बनी हुई है। सरकार की असंवेदनशीलता से स्तब्ध हम विपक्षी दल इन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग करते है।

सोनिया ने विपक्षी दलों के नेताओं से की थी बात

बजट सत्र आज से शुरू, विपक्षी पार्टियां करेंगी राष्ट्रपति के भाषण का बहिष्कार

संसद सत्र को लेकर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को विपक्ष के नेताओं के साथ चर्चा की थी. सूत्रों के अनुसार इस बैठक का मकसद कृषि कानूनों और अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर सरकार को घेरने के लिए साझा रणनीति बनाना था. बता दें कि तमाम विपक्षी दल शुरुआत से ही कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं.