बिहार में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में बहुमत के लिए एनडीए ने 243 विधानसभा सीटों में 125 सीटें हासिल की. आरजेडी का नेतृत्व करने वाले गठबंधन 110 सीटों को जीता है. तेजस्वी यादव ने दावा किया है कि बिहार में उनकी ही सरकार आएगी. अब सवाल यह है कि क्या ऐसा संभव हो सकता है? गठबंधन में अभी तक सिर्फ 110 सीटें ही है बिहार विधानसभा में बहुमत के लिए लगभग 122 सीटों की आवश्यकता है. तेजस्वी यादव सरकार बनाने के लिए 12 विधायकों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी. यहां पर कुछ विकल्प है जिनसे यह संभव हो भी सकता है-
— तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद हासिल करने के लिए पहले दूसरी पार्टियों के 8 विधायकों को अपने साथ लाना आवश्यक है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हम के 4 विधायकों का साथ लेना भी बहुत आवश्यक है. इससे यह संभव हो सकता है. 110+ 8+ 4= 122
— तेजस्वी यादव मुकेश साहनी को मंत्रिमंडल पद पर भरोसा देते हुए उनका साथ लेना चाहिए, यदि वे समर्थन देते हैं तो ऐसा संभव हो सकता है. 110+ 8+ 4= 122
— NDA में शामिल हुए हम और वीआईपी तेजस्वी यादव के गठबंधन को सपोर्ट दे और अन्य पार्टियों में चार विधायकों का साथ मिलना बहुत जरूरी है. 110+ 4+ 4+4 = 122
— चिराग पासवान की लोजपा को रोकने के लिए भाजपा ने प्रयास नहीं किए, जिसके कारण नीतीश कुमार भी काफी नाराज हैं, ऐसे में जदयू को 26 सीटों का नुकसान हुआ. एनडीए छोड़कर यदि नीतीश कुमार गठबंधन की तरफ जाते हैं तो यह भी एक विकल्प है. 110+43 = 153
इस तरह से तेजस्वी यादव को कुछ विकल्प मिलते हैं, जिससे वह अपना दावा पूरा कर सकते हैं. सुभाष कश्यप का इस मामले में कहना है कि, तेजस्वी यादव सिर्फ राजनीतिक दबाव बनाने के लिए इस तरह का दावा कर रहे हैं. चुनाव से पहले बन चुके गठबंधन में से एक गठबंधन यानी एनडीए को बहुमत मिल चुका है. तेजस्वी यादव के पास ना तो कोई रास्ता है और ना ही बहुमत है. राज्यपाल के सबसे बड़े गठबंधन के नेता को पहले सरकार बनाने के लिए बुलावा भेजेंगे. विधानसभा कार्यकाल खत्म होने से पहले सरकार बनने का दावा नहीं किया गया तो परंपरा के मुताबिक भाग सबसे बड़ी पार्टी को बुलावा भेजेंगे. महाराष्ट्र में भी इस तरह की प्रक्रिया का पालन किया गया था.