नई दिल्ली: भारत-चीन विवाद के बीच गलवान घाटी में हुई भारत और चीन के सैनिकों में हिंसक झड़प से एशियाई क्षेत्र या कहा जाए कि पूरा वैश्विक क्षेत्र गर्मा गया है। इसी बीच भारत के लिए उसके सबसे पुराने और भरोसेमंद साथी रुस से अच्छी खबर आई है। खबरों के मुताबिक रुस के विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के दो वर्ष के लिए अस्थाई रूप से चुने जाने पर भारतीय विदेश मंत्री एक जयशंकर को बधाई देते हुए भारत-चीन विवाद पर दोनों देशों को बातचीत के पटल पर आने की पहल का स्वागत किया है।
बातचीत से सुलझे विवाद
भारत-चीन विवाद को लेकर विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी में ये पता चला है कि रूस ने दोनों ही देशों से इस विवाद को बातचीत से हल करने की बात कही। आरआईसी को लेकर है कि ये शिखर सम्मेलन तीनों ही देशों के लिए बेहद सहज और क्षेत्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श करने का बेहतरीन अवसर होगा। इससेे पहले भी रुस विवाद को बातचीत सेहल करने की बात कह चुका है।
त्रिपक्षीय बैठक में हिस्सा लेंगे भारत-चीन
भारत-चीन विवाद की गरमाहट और गलवान घाटी की घटना के बाद ऐसी आशंकाएं थीं कि भारत और चीन आरआईसी (रूस भारत चीन) के समूह की शिखर वार्ता में हिस्सा नहीं लेंगे। लेकिन ये आशंकाएं पूरी तरह दूर हो चुकीं हैं क्योंकि 23 जून को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से एस जयशंकर अपने रूसी समकक्ष सरजेई लावरोव और चाइनीज विदेश मंत्री वांग यी के साथ इस त्रिपक्षीय शिखर वार्ता में सम्मिलित होंगे।
क्या होगा बैठक का मुद्दा
आरआईसी की इस बैठक का मुख्य मुद्दा पूरी दुनिया के लिए सिर दर्द बना अफगानिस्तान होगा जहां अमेरिका और तालिबान के बीच बिगड़ते हालातों और राजनीतिक उठा-पटक बनी हुई है। इसके साथ ही तीनों देश अपनी साझा परियोजनाओं पर भी विस्तृत चर्चा कर सकते हैं। जिसमें मध्य एशिया को यूरोप से जोड़ने वाला 7,200 किलोमीटर का उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर सबसे अहम है।
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