बॉलीवुड इंडस्ट्री के दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के बाद उनके केस को लेकर रोज एक नया मोड़ सामने आ रहा है. सुशांत के परिवार वालों ने उनके केस को लेकर न्याय की गुहार लगाते हुए, सीबीआई जांच की मांग की थी. सुशांत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साबित हुआ था कि, सुशांत ने आत्महत्या की है ना कि उनका मर्डर हुआ है. इसके बाद सीबीआई के द्वारा गठित की गई एम्स की टीम ने भी सुशांत की मौत को आत्महत्या ही करार दिया.
सुशांत के परिवार के वकील विकास सिंह ने CBI को लिखी चिट्ठी
हम आपको बता दें कि सुशांत के परिवार के वकील विकास सिंह ने इस बात को मानने से साफ इंकार कर दिया है. उन्होंने इस बात को नकारते हुए सीबीआई की टीम को एक चिट्ठी भी लिखी है. इस चिट्ठी में उन्होंने रिपोर्ट में आई कमियों के बारे में गिनती करवाई. इसके अलावा उन्होंने दोबारा फॉरेंसिक टीम का गठन किए जाने की मांग भी की है. इस चिट्ठी में विकास सिंह ने सुशांत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर भी सवाल उठाए, और कई तरह के दावे किए हैं.
पोस्टमार्टम करने वाली टीम ने दिया जवाब
सुशांत सिंह राजपूत के परिवार के वकील विकास सिंह को पोस्टमार्टम करने वाली टीम की तरफ से जवाब भी आ गया है. हम आपको बताएंगे कि सुशांत के वकील विकास सिंह ने चिट्ठी में क्या-क्या सवाल किए हैं और उन्हें इस बात पर क्या क्या जवाब दिए गए.
फेक्चुअल एरर लिखते हुए विकास सिंह ने कहा, ” सुशांत सिंह राजपूत का पोस्टमार्टम रात में क्यों किया गया, क्या इस बात के लिए मजिस्ट्रेट ने इजाजत दी थी”? इस बात पर विकास सिंह को जवाब दिया गया कि, ”पुलिस अधिकारियों ने हमसे पोस्टमार्टम करने के लिए कहा था, जिसकी वजह से हमने रात में पोस्टमार्टम किया. 2013 सर्कुलर में ऐसा कोई भी नियम नहीं है कि, पोस्टमार्टम रात में नहीं कर सकते”. मजिस्ट्रेट वाली बात का जवाब देते हुए विकास सिंह को बताया गया कि, ” मजिस्ट्रेट की इजाजत तब ली जाती है, जब यह मृत्यु 176 CRPC यानी कि किसी मारपीट या दंगे में हुई हो. 174 CRPC के तहत सुशांत का पोस्टमार्टम करवाने का अधिकार पुलिस के पास है”.
हम आपको बता दें कि, सुशांत सिंह राजपूत के पोस्टमार्टम में 90 मिनट का समय लगा था. जिस पर विकास सिंह ने सवाल किया. इस पर उन्हें बताया गया कि, ” सामान्य पोस्टमार्टम के लिए इतना ही समय लगता है, एक घंटे के भीतर पोस्टमार्टम पूरा हो गया था और विसरा भी प्रिजर्व कर लिया गया था”.
पोस्टमार्टम की रिपोर्ट पर वक्त पर सवाल उठाते हुए विकास सिंह ने पूछा कि, रिपोर्ट पर मौत का समय क्यों नहीं लिखा गया? इस पर उन्हें बताया गया कि, ”रिपोर्ट में यह लिख दिया गया था, कि 10 से 12 घंटे पहले सुशांत की मृत्यु हुई है”.
विकास सिंह ने कहा कि, ” जिस कुर्ते से फांसी लगाई गई है, वह ज्यादा वजन नहीं उठा सकता”. इस पर पोस्टमार्टम करने वाली टीम का जवाब मिला कि, ” जिस कुर्सी से फांसी लगाई गई थी, उसे टेस्ट करवाया गया था. जिससे यह साबित हुआ कि वह लगभग 200 किलो तक का वजन झेल सकता है”.
विकास सिंह ने अपनी चिट्ठी में पूछा कि, ”सुशांत के पोस्टमार्टम के समय उन के परिवार का कौन सा सदस्य वहां पर मौजूद था”? इसके जवाब में बताया गया कि, ” उस समय सुशांत की बहन द्वारा साइन किया गया एक पेपर हमारे पास आया था, जिसके बाद उनकी बहन और जीजा भी सेंटर पर मौजूद थे”.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सुशांत के शरीर पर निशान पाए जाने के बावजूद चोट का जिक्र ना होने पर विकास सिंह ने सवाल किया, जिसके बाद उन्हें बताया गया कि, ”सुशांत की रिपोर्ट में सिर्फ ligature mark ही था और कोई चोट नहीं”.
विकास सिंह ने जब ट्रेजर गन वाले मामले पर बात की तो पोस्टमार्टम टीम ने बताया कि, ”जब ट्रेजर गन से वार किया जाता है, तो गर्दन पर एक जला हुआ निशान रह जाता है. लेकिन सुशांत के गले पर ऐसा कोई भी निशान नहीं पाया गया था”. पोस्टमार्टम टीम का मानना है कि, यह सारी अफवाह फैलाई गई है.
सुशांत सिंह राजपूत की विसरा रिपोर्ट के बारे में बात करते हुए विकास सिंह ने पूछा कि, ” इसके अलावा कौन सी जांच की गई है, जिससे यह पता चले कि सुशांत की हत्या नहीं हुई है? इस पर जवाब आया कि, ” जहां पर लटककर फांसी लगाई है, वहां पर किसी तरह का कोई निशान नहीं मिला है. जो मार्क सुशांत के गले में है वही फांसी वाले फंदे में भी मिला है, जिससे यह बताया जा सकता है कि यह आत्महत्या ही है”.