हॉकी खेल के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद भले ही दुनिया को अलविदा कह गए हो, लेकिन उनसे जुड़े किस्से आज भी सामने आ रहे है। आज से ठीक 84 साल पहले का वाक्या है खचाखच भरे स्टेडियम में जब जर्मनी के हाकीम तानाशाह रहे एडॉल्फ हिलकर के प्रपोजल को उन्होंने बेखौफ होकर ठुकरा दिया था। और कहा था कि- ‘भारत बिकाऊ नहीं है’। ये लाइन आज तक लोगों के जहन गूंज रही है। जब वो हॉकी लेकर मैदान में उतारते थे, तो उन्हें हॉकी के जादूगर के रूप में देखा जाता था। मेजर ध्यानचंद ने भारत का मान दुनियाभर में बढ़ाया।
बताया जा रहा है कि- साल 1936 में बर्लिन में ओलंपिक मैच आयोजित किए गए थे। आने वाले दिनों में 15 अगस्त 1936 को बर्लिन देश में भारत और जर्मनी के बीच फाइनल मैच में भिड़त होनी थी। इस हॉकी के मैचे को देखने के लिए लोगों की भीड़ से स्टेडियम भर गया था। उस समय टीम के भीतर अचानक तनाव की स्थिति बन गई थी, क्योंकि उस मैच को देखने के लिए दुनियाभर में अपनी तानाशाही के लिए मशहूर एडॉल्फ हिटलर आने वाला था। ये मैच काफी रोमाचंक होने वाला था। भारत और जर्मन के 40 हजार लोग मैच देखने पहुंचे थे।
इंडिया की टीम ने जर्मनी को 8-1 से हरा दिया था
फाइनल मैच से पहले भारत ने सेमीफाइनल में फ्रांस की टीम को पराजित कर दिया था। इस मैच में मेजर ध्यानचंद ने 10 में से चार गोल किए थे। उन्होंने अपने कदमों को यहीं नहीं रोका बल्कि फाइनल मैच में अच्छा प्रदर्शन दिखाने के बाद भारत को गोल्ड मेडल जीता दिया था। भारत के स्वर्ण पदक जीतने बाद जो हुआ वो काफी चौंकाने वाला था।
यही डर था कि हिटलर, मेजर ध्यानचंद की हत्या न करा दें
नकवी ने बताया कि- दादा ध्यानचंद ने जर्मनी टीम के खिलाफ 6 गोल किए थे। जिसेक बाद इंडिया की टीम ने ये 8-1 से जीत लिया था। जर्मनी के हिटलर ने दादा ध्यानचंद को पहले सलाम किया और उन्हें जर्मनी की सेना में शामिल होने की पेशकश की।
इस मौके पर मेजर ध्यानचंद कुछ समय के लिए शांत कहे, शोर से गूंज रहा स्टेडियम भी शांत हो गया था। सभी को ये डर सता रहा था कि- हॉकी के जादूगर ध्यानचंद ने अगर हिटलर की बात नहीं मानी तो वो उनकी हत्या भी कर सकता है। लेकिन मेजर ध्यानचंद, हिटलर के सामने साहस दिखाते हुए आंखे बंद करने के बाद ऊंची आवाज में कहा था कि- भारत बिकाऊ नहीं है।