भारत-चीन विवाद के बीच गलवान घाटी में 20 भारतीय जवानों की शहादत के बाद देश में जहां चीन के प्रति विवाद बढ़ता ही जा रहा है तो दूसरी ओर इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार खामोशी से काम कर रही है। भारत-चीन विवाद के बीच आए दिन बातचीत तो होती है लेकिन सरकार काम इतनी सतर्कता से कर रही है कि कोई भी कबर लीक नहीं हो रही है। यही नहीं भारत-चीन विवाद के 23 जून के बाद विदेश मंत्रालय और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कोई बयान नहीं दिया है।
चीन की है ये फितरत
भारत-चीन विवाद के बीच ये समझना बेहद जरूरी है कि चीन हमेशा हर राष्ट्र के साथ कुछ ऐसा ही रुख अख्तियार करता है। वो विस्तारवादी नीति पर काम करता है साउथ चाइना सी से लेकर जापान, अमेरिका के साथ भी चीन का विवाद चल रहा है। आए दिन चीन अख्तियार कर लेता है और खुद को ही पीड़ित बताता है।
दुश्मन की विस्तारवादी नीति
चीन अपनी विस्तार वादी नीति के तहत पहले किसी दूसरे राष्ट्र की जमीन पर कब्जा करने के लिए पहले चार कदम चलता है फिर दो कदम पीछे लेकर अगले दो कदमों के लिए बातचीत की वार्ता टेबल पर आ जाता है अगर उस वार्ता टेबल में उस दो कदमों पर तो सहमत हो जाता है लेकिन बड़ी बात ये है कि वो चार में से दो कदम बड़ी ही चालकी से कब्जा कर लेता है। अपनी नीति के तहत ही चीन ने भूटानस भारत और चीन के बीच के ट्राइजंक्शन के डोकलाम की 36 हेक्टेयर जमीन पर अपना कब्जा कर लिया था।
युद्ध चाहता है चीन?
भारत-चीन विवाद बढ़ने के बाद ये शंकाएं बेहद गहरी हो गईं हैं। भारत के कट्टर दुश्मन पाकिस्तान से भी आगे निकलते हुए चाइनीज कठपुतली वाली मीडिया चीन की सरकार के इशारे पर काम करती है वो मिडिया बहुत आक्रामकता के साथ भारत के खिलाफ न केवल खबरें प्रचारित और प्रसारित कर रही है। जो लोगों डरा रही है कि कहीं भारत-चीन विवाद के बीच युद्ध की स्थिति न पैदा हो जाएं।
तैयार है भारतीय सेना
भारत-चीन विवाद के बीच लद्दाख में भारतीय जवानों की शहादत के भारतीय सेना आक्रमक हो गई है सेना ने अपनी अतिरिक्त फौज चीन की सभी सीमाओं पर तैनात कर रखी है। यही नहीं भारती एयरफोर्स सीमा पर जोर-शोर से युद्धक एयरक्राफ़्ट्स के साथ युद्ध की तैयारियों में जुट है जो साफ संदेश देती है कि भारत-चीन विवाद के बीच यदि कोई भी अप्रिय घटना हो तो उसे निपटने को भारतीय सेना पूरी तरह तैयार है।
भारत को वैश्विक समर्थन
भारत-चीन विवाद के बीच अमेरिका ने आक्रमक रुख अख्तियार कर लिया। अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से ट्रेड वॉर समेत कोरोनावायरस को लेकर छत्तीस का आंकड़ा बन चुका है। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप पहले चीन के खिलाफ आक्रमकता से परिपूर्ण बयानबाजी कर चुके हैं। इसी बीच अब अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने भी चीनी सरकार और चीध की कम्युनिस्ट पार्टी को कपटी और धूर्त बताया था। भारत-चीन विवाद के बीच अमेरिका भारत के साथ खड़ा दिख रहा है।
दूसरी ओर भारत के लंबे वक्त से सहयोगी रहा रुस भी भारत के सपोर्ट में दिख रहा है। रूस साफ कर चुका है कि भारत-चीन अपना सीमा विवाद खुद शांति के साथ सुलझाएं और क्षेत्र में विकास करें। यही नहीं ऑस्ट्रेलिया से लेकर फ्रांस, जापान ब्रिटेन सभी भारत के साथ दिख रहा है और भारत-चीन विवाद में भारत का पलड़ा भारी नजर आ रहा है।
ख़ामोश है पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत-चीन विवाद के बीच खुलकर अभी कोई बयान नहीं दिया है, जमीनी स्तर पर भारतीय सेना और सरकारी हुक्मरान काम कर रहें हैं, लेकिन शीर्ष स्तर पर बयानबाजी बचा जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय मामलों को लेकर ये कहा जाता है कि कूटनीतिक स्तर के लिए बयानबाजी कम ही सोनी चाहिए। पीएम मोदी भारत-चीन विवाद के बीच भी कुछ इसी नीति पर काम कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बड़े अंतराष्ट्रीय मसलों पर अक्सर खामोशी में यकीन रखते हैं। कट्टर दुश्मन पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राईक और एयर स्ट्राईक उसी ख़ामोशी का नमूना था। पीएम एक बार बयान देकर चुप हो गए थे और दोबारा अपने जवानों की शोर्य गाथा पर ही बोले थे।
भारत-चीन विवाद पर नजर डालें तो पीएम अपने पहले बयान में साफ कहा था कि भारत युद्ध नहीं चाहता लेकिन अपनी संप्रभुता के लिए कुछ भी करने को कटिबद्ध है। भारत-चीन विवाद के बीच गलवान के शहीदों के लिए उन्होंने दो टूक कहा था कि 20 भारतीय जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी।
उस एक बयान के बाद पीएम मोदी ख़ामोश है पीएम मनमोहन मोदी की ये खामोशी किसी तूफान से पहले की शान्ति तो नहीं भारत-चीन विवाद सीमा को लेकर आए दिन चिंता का सबब बनता है मुमकिन है कि पीएम अपनी ख़ामोशी के पीछे इस भारत-चीन विवाद का कोई निर्णायक प्लान पर काम कर रहे हों।
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