भारतीय सेना की पंजाब रेजिमेंट की प्रशंसा हमेशा से ही होती रही है। भारतीय सेना के शौर्य़ में इस रेजिमेंट और इसके जवानो की गाथाएं लोगों का गौरवान्वित करती रही हैं। इस पंजाब रेजिमेंट ने हर एक युद्ध में भारतीय सेना के मस्तक को और अधिक ऊंचा उठाया है। कारगिल की लड़ाई में भी कैप्टन सौरभ कालिया कौप्टन अमित भारद्वाज ने जिस तरह से अपनी शहादत दी थी उससे वो और पूरी पंजाब रेजिमेंट इतिहास में दर्ज हो गई थी। आज भी उनके शौर्य़ की वो गाथा बच्चों को सुनाई जाती है।
सबसे पुरानी रेजिमेंट
गौरतलब है कि पंजाब रेजिमेंट भारतीय सेना की सबसे पुरानी और असरदार रेजिमेंट है जो कि सन् 1761 से पूरण रूप से सक्रिय है। इसके पास अनेक युद्धों में भागीदारी का विशेष अनुभव है, जिसके चलते इसके शौर्य के इतिहास की कहानियां खत्म होने का नाम नहीं लेती हैं और लोगों में इनके प्रति रोमांच लाती है। पंजाब रेजिमेंट का प्रतीक चिन्ह गैली यानी नाव से सम्मानित किया गया है।
गणतंत्र दिवस का आकर्षण
भारत के गणतंत्र दिवस के अवसर पर पंजाब रेजिमेंट की टुकड़ी हर बार अपने शौर्य का करती है। हर साल की तरह इस साल भी गणतंत्र दिवस की परेड में जाब पेजिमेंट शामिल थी, जिसके सैनिक जबरदस्त परेड और शौर्य का प्रदर्शन करने उतरे थे।
ये भारतीय सेना की सबसे लोकप्रिय रेजिमेंट मानी जाती है, जिसके चलते इसके राजपथ पर उतरते ही लोगों का उत्साह आसमान छूने लगता है। इस बार इसकी परेड में सभी टुकड़ियों के जांबाज सैनिक थे, जो लोगों को रोमांचित कर रहे थे।
कुल है 15 बटालियन
भारतीय सेना की पंजाब रेजिमेंट में कुल 15 बटालियन हैं जिसका रेजिमेंटल सेंटर झारखंड के रामगढ़ में है। इस रेजिमेंट का आदर्श वाक्य जल व स्थल का अनुसरण करती हुई ‘जो बोले सो निहाल, सतश्री अकाल’ समेत ‘ज्वाला माता की जय’ और इस रेजिमेंट के बैज पर पाल वाला जहाज बना है।
आपको बता दें कि 1 पद्म भूषण, 8 परम विशिष्ट सेवा मैडल, 12 कीर्ति चक्र, 77 सेना मेडल, 10 अति विशिष्ट सेवा मैडल, 277 सेना मैडल, 156 मेंशन इन डिस्पैच से नवाजा गया है। इसके अलावा इस रेजिमेंट को अनेकों शौर्य सम्मान से नवाजा गया है। आपको बता दें कि इस रेजिमेंट को इचोगुल , लोंगेवाला, ब्राचिल पास, गरीबपुर, जोजिला युद्ध के लिए सम्मान मिल चुका है।