कानपुर: विकास दुबे के एनकाउंटर के पहले यूपी एसटीएफ ने जिस तरह से विकास से 12 घंटे तक पूछताछ की उसके बाद पुलिस ने उसे खुद ही साइको किलर घोषति कर दिया है वो सनक में कुछ भी कर देता था और यही इस कुख्यात गैंगस्टर का खोफ बन गया गांव से लेकर पुलिस वाले तक इससे खौफ खाने लगे थे।
चरणों में पुलिस
विकास एक ऐसा शख्स था जो केवल अपनी तारीफ सुनना ही पसंद करता था अपनी खिलाफत सुनने पर वो भड़क जाता था, चौबेपुर थाना प्रमुख इसी बात से विकास से डरते थे कि न जाने कब विकास दुबे का मूड खराब ह़ो जाएं इसलिए विकास का मूड ठीक करने के लिए बेवजह ही उस दुर्दांत अपराधी की तारीफों के पुल बांध देते थे।
गांव में था खौफ
विकास दुबे का खौफ पूरे गांव में था उसकी बात को अनसुना जो भी कर देता था उसको विकास के गुर्गे उठा लेते थे और फिर विकस का तांडव शुरू हो जाता था। विकास किसी को भी बक्शता नहीं था। लोगों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत ये थी कि कोई उसकी मार पीट के खिलाफ पुलिस के पास जाता तो उसकी सूचना पुलिसवाले विकास तक पहुंचा देते थे और इसी लिए लोग उससे डरने लगे थे।
विकास का घर किले की तरह बना था जिसके अंदर एक नीम का पेड़ था जो भी विकास की खिलाफत करता उसे उसी नीम के पेड़ में बांधकर पीटा जाता था और पुलिस के पास जाने का अंजाम बेहद ही खौफनाक होता था मुमकिन यही था वो लोगों को मरवा देता था।
सनक का शिकार विकास
एसटीएफ की जो बातें वो साफ करतीं हैं कि विकास सच में एक साइको ही थ वो किसी भी शख्स को मार सकता था। इसी सनक ने 2001 में दर्जा प्राप्त मंत्री संतोष शुक्ला को थाने के अ़द करवाया।
गांव की ऐसी ही घटना वारदात के पहले 1 जुलाई को हुई जब विकास दुबे ने गांव के ही राहुल तिवारी की जमीन कब्जाने की कोशिश की जब वो नहीं माने तो उन्हें बहुत मारा और यहीं विकास का पब्लिक के साथ किया आखिरी अपराध बना राहुल ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और उसके बाद पुलिस ईष पर दबिश बनाने ही गई थी, लेकिन उसने 2 जुलाई की रात जो किया वो यूपी क्या पूरे देश की पुलिसिया इतिहास में कभी नहीं हुआ था।