मुम्बई- सुशांत सिंह राजपूत माैत मामले में राकांपा के अध्यक्ष शरद पवार के पाेते पार्थ पवार द्वारा सीबीआई जांच की मांग गई है। पार्थ की इस मांग के बाद शिवसेना ने कहा कि इस तरह की मांग करना मूर्खता होगी। साथ ही कहा कि कोई पार्थ का मिसयूज कर रहा है। मुखपत्र सामना में पार्थ को नसीहत दे डाली। उन्होने अपने संपादकीय में कहा कि पार्थ पवार सोशल मीडिया पर अपने विचार व्यक्त करते रहते हैं, इन विचारों पर हमेशा इतना ध्यान दिया जाए यह जरूरी नहीं है। बता दें कि महाराष्ट्र में महागठबंधन सरकार में राकांपा शिवसेना की सहयोगी है।
शरद पवार ने पार्थ को कहा अपरिपक्व
इससे पहले शरद पवार ने बुधवार को कहा था कि पार्थ द्वारा सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग का कोई महत्व नहीं है। पवार ने पार्थ को ‘अपरिपक्व’ करार दिया था और उनके इस बयान से महाराष्ट्र की राजनीति में जुबानी जंग शुरू हो गई थी।
मुंबई पुलिस मामले की जांच करने में सक्षम
सुशांत मामले में सीबीआई जांच की मांग करना मूर्खता होगी। कुछ अनुभवी लोग भी सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। यह समझा जाना चाहिए कि मामले में सीबीआई जांच की आड़ में महाराष्ट्र के स्वाभिमान और पहचान को चोट पहुंचाने की साजिश चल रही है। दिलचस्प बात यह है कि राज्य में महागठबंधन सरकार में राकांपा शिवसेना की सहयोगी है। संपादकीय में दोहराया गया कि मुंबई पुलिस मामले की जांच करने में सक्षम है। इसके साथ ही पूछा सुशांत मामले में सीबीआई जांच ठीक है लेकिन मुझे बताएं कि मुंबई पुलिस कहां गलत है?
देवेन्द्र फडणवीस पर भी साधा निशाना
सामना के संपादकीय में आगे कहा गया अब वह अपने आप पर नियंत्रण रखते हैं। उनके बेटे पार्थ राजनीति में नए हैं और इसलिए उनके बयानों से विवाद पैदा होते हैं। कई वरिष्ठ एवं अनुभवी राजनेताओं ने भी सीबीआई जांच की मांग की है। यह इशारा भाजपा नेता देवेन्द्र फडणवीस की ओर था। मराठी दैनिक पत्र ने कहा, पवार ने पार्थ को रोकने के लिए केवल यह टिपप्पणी की। इस पर इतना बवाल क्यों मचाया जा रहा है।
दे डाली पार्थ को ढेर सारी नसीहतें
सामना के संपादकीय में पार्थ को खूब नसीहत भी दी गयी हैं। संपादकीय में लिखा है कि शरद पवार अपने पोते पार्थ पवार के मार्गदर्शक रहे हैं। पार्थ ने लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए। एक जीत या हार आपको न तो शिखर पर ले जाती है और न ही नीचे लाती है। शरद पवार आजीवन लोगों के बीच रहे और जमीनी राजनीति करते रहे।
अब उनके बेटे अजीत पवार और सुप्रिया सुले भी ऐसा ही कर रहे हैं। ऐसे में उनकी तीसरी पीढ़ी भी यदि इसी रास्ते पर चले तो कौन सा तूफान खड़ा हो जाएगा।राजनीति में नए होने के कारण पार्थ पवार ऊंची कूद न लगा सके। अभी उन्हें थोड़ी मेहनत और करनी पड़ेगी। वे अपने राजनीतिक परिवार से ही बहुत कुछ सीख सकते हैं। दादाजी शरद पवार की सलाह को यदि वे आशीर्वाद के रूप में स्वीकार करें तो उनका मानसिक तनाव कम होगा।