कानपुर- जिले में लगातार पुलिस अपनी फजीहत करवा रही है। विकास दुबे का मामला हो या संजीत अपहरण और हत्या का जिसमे खुद पुलिस ही अपहरणकर्ताओं को 30 लाख फिरौती दिलाती है। ताजा मामला एक रईस जादे का है जो पुलिस के सामने ही अपनी फेरारी कार से स्टंट करता है। इस दौरान पुलिस मूकदर्शक बनी रही। लेकिन वीडियो वायरल होने के बाद रईसजादे को गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में उसे छोड़ भी दिया गया।
गुटखा कंपनी का मालिक है रईसजादा
मामला नवाबगंज थाना क्षेत्र के गंगा बैराज का है, जहां लाल रंग की खुली लग्जरी कार लोगों के आकर्षण का विषय बन गयी। पुलिस के सामने कार सवारों ने कई राउंड स्टंट करते हुए गोल चक्कर लगाए। वह भी तब जब सामने जाम लगा हुआ था। कार सवार पुलिस के सामने खुलेआम स्टंट कर रहे थे और कोई भी उन्हें रोकने वाला नहीं नही था।
स्टंट के दौरान गंगा बैराज पर पुलिस भी मौजूद थी लेकिन वे रईसजादों को स्टंट करने से रोकने तक की हिम्मत नहीं जुटा सके। स्टंट का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसके बाद एसएसपी के संज्ञान लेने के बाद नवाबगंज थाने की पुलिस ने आनन फानन मुकदमा दर्ज करके कार मालिक शरद खेमका को गिरफ्तार कर लिया। शरद खेमका एक गुटखा कंपनी के मालिक है।
बाउंसर ने रोके वाहन और सामने खड़ी रही पुलिस
शनिवार की दोपहर सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ, जिसमें लाल रंग की फेरारी कार चालक गंगा बैराज के पास बीच चौराहे पर स्टंट करते दिख रहा है। छोटे चौराहे पर वह तेजी के साथ गाड़ी घुमा रहा है, मौके पर आसपास वाहन सवार भी रुके हुए हैं। स्टंट के इस बीच साइकलिंग कर रहे दो युवक सड़क पर आ जाते हैं, जिन्हें बाउंसर आगे भगा देते हैं।
वीडियो में नवाबगंज पुलिस की गाड़ी भी खड़ी दिख रही है और काले कपड़े पहने एक अंगरक्षक चौराहे पर आने से लोगों को रोक रहा है। इस बीच साइकलिंग कर रहे दो युवक आ जाते हैं, जिन्हें बाउंसर आगे बढ़ा देता है। कुछ ही देर में चालक तेजी के साथ फेरारी कार को घुमाता है और आसपास लगी भीड़ मजे भी ले रही है। इस दरमियान न तो कार चालक को और न ही पुलिस को आसपास खड़ी भीड़ की जान की चिंता है।
थाने से ही छुटा रईसजादा
पुलिस ने फेरारी कार को भी सीज कर दिया है। सीओ अजीत सिंह चौहान ने बताया कि आरोपित युवक के खिलाफ सड़क पर स्टंटबाजी करते हुए दूसरों की जान खतरे में डालने, मार्ग अवरुद्ध करने और महामारी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है परंतु किसी भी अपराध में 7 वर्ष से अधिक सजा का प्रावधान न होने पर थाने से ही शरद खेमका को जमानत मिल गई।