नई दिल्ली- सभी देशों में कोरोना वायरस का कहर चरम पर है। भारत में कोरोना वायरस से 14 लाख लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के लिए कम टेस्टिंग और परीक्षण के परिणाम में आने होने वाली देरी को भी एक प्रमुख कारण है। इस कारण संक्रमितों के इलाज में भी देरी हो रही है। ऐसे में सिंगापुर के विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे सिर्फ जांच के 36 मिनट बाद पता लगाया जा सकता है कि मरीज कोरोना संक्रमित है या नहीं।
परिणाम में देरी से फैला रहा संक्रमण
अभी जिस तरह से जांच की जाती है उसमें रिजल्ट आने में कई घंटे लग जाते हैं, और तब तक पॉजिटिव हो चुके व्यक्ति के संपर्क में आने से और भी लोग संक्रमित हो जाते हैं। इतना ही नहीं अभी के टेस्टिंग तकनीक में सही रिजल्ट के लिए उच्च प्रशिक्षित तकनीकी कर्मचारियों की भी जरूरत होती है। इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखकर सिंगापुर के विशेषज्ञों ने ऐसी तकनीक विकसित की, जिससे सिर्फ 36 मिनट में किसी भी व्यक्ति में कोरोना संक्रमण का पता लगाया जा सकता है। सिंगापुर के नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (NTC) के मेडिसिन विशेषज्ञों ने नई टेस्टिंग की तकनीक को लेकर लैब्स को जांच में लगने वाले समय को कम से कम करने और सस्ता करने की तकनीक को लेकर कई सुझाव दिए हैं।
पोलीमरेज चेन रिएक्शन से जल्द पता चलेगा कोरोना संक्रमण के बारे में
सिंगापुर में वैज्ञानिकों ने जिस नई तकनीक को जांच के लिए विकसित किया है उसका नाम पोलीमरेज चेन रिएक्शन यानि पीसीआर है। इस तकनीक के जरिए मशीन संदिग्ध में वायरल अनुवांशिक कणों को बार-बार से कॉपी कर उसकी जांच करता है ताकि सोर्स सीओवी 2 के किसी भी लक्षण का पता चल सके।
इसके साथ ही आरएनए की जांच की जाती है जिसमें आमतौर पर सबसे अधिक समय लगता है। जिसके कारण रिजल्ट आने में देरी होती है। इसके बाद रोगी के सैंपल में अन्य घटकों से आरएनए को अलग कर पता लगाया जाता है कि व्यक्ति कोरोना संक्रमित है या नहीं। इस तकनीक की पूरी जानकारी जीन्स में प्रकाशित की गई है। हालांकि इस तकनीक के जरिए टेस्टिंग में जिस केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है दुनिया में उसकी आपूर्ति कम ही होती है।