नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पीएम मोदी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री सादगी के प्रतीक थे और उन्होंने अपना जीवन देश के कल्याण की खातिर जिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक ट्वीट कर लिखा है कि, ‘लाल बहादुर शास्त्री जी विनम्र और दृढ़ व्यक्ति थे। वह सादगी के प्रतीक थे और उन्होंने राष्ट्र के कल्याण के लिए जीवन जिया। हम उन्हें उनकी जयंती पर याद करते हैं और उन्होंने भारत के लिए जो कुछ भी किया, उसके कारण उनके प्रति बहुत आभारी हैं।’
Lal Bahadur Shastri Ji was humble and firm.
He epitomised simplicity and lived for the welfare of our nation.
We remember him on his Jayanti with a deep sense of gratitude for everything he has done for India. pic.twitter.com/bTV6886crz
— Narendra Modi (@narendramodi) October 2, 2020
पीएम मोदी, शास्त्री के स्मारक विजय घाट भी गए और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। आपको बता दें कि शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे, उनका जन्म साल 1904 में यूपी में हुआ था। उन्होंने उनके ‘जय जवान, जय किसान’ के नारे के लिए खूब याद किया जाता है’।
PM मोदी ने महात्मा गांधी को दी श्रद्धांजलि
वहीं आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का भी जयंती है। पीएम मोदी इस मौके पर राजघाट गए थे और गांधी को उनकी 151वीं जयंती पर शुक्रवार को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि उनके जीवन एवं विचारों से बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
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पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि, ‘हम गांधी जयंती के अवसर पर अपने प्रिय बापू को नमन करते हैं। उनके जीवन और महान विचारों से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। कामना करते हैं कि समृद्ध और दयालु भारत बनाने में बापू के आदर्श हमारा मार्गदर्शन करते रहें।’ आगे पीएम मोदी ने कहा कि गांधी ने ऐसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ का सपना देखा था, जहां हर गांव आत्मनिर्भर है।
लाल बहादुर शास्त्री के इन विचारों से देश को मिलेगा नया नजरिया
दुनिया को ‘जवान जय किसान’ का नारा देने वाले भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के विचार आज के युवाओं को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। आज शास्त्री हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके ये महान विचार हमेशा हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे।
जब स्वतंत्रता व अखंडता खतरे में हो, तो पूरी शक्ति से उस चुनौती का मुकाबला करना ही कर्तव्य होता है, हमें एक साथ मिलकर अपेक्षित बलिदान के लिए दृढ़तापूर्वक तत्पर रहना है।
आज़ादी की रक्षा करना केवल सैनिकों का काम नहीं है, इसके लिए पूरे देश को मजबूत होना होगा।
जो देश पर शासन करते हैं, उन्हें यह देखना चाहिए कि लोग प्रशासन पर किस तरह की प्रक्रिया देते हैं। अंतत: जनता ही मुखिया होती है।
मेरी समझ से प्रशासन का मूल विचार ये होना चाहिये कि समाज में एकता रखी जाए, ताकि वो विकास कर सके और अपने लक्ष्यों की तरफ आगे बढ़ सके।
कानून का सम्मान किया जाना चाहिए, ताकि हमारे लोकतंत्र की बुनियादी संरचना बरकरार और मजबूत रहें।
अगर कोई एक इंसान भी ऐसा रह गया, जिसे किसी रूप में अछूता कहा जाए, तो भारत को अपना सिर शर्म से नीचे झुकाना पड़ेगा।