महात्मा गांधी जी… एक ऐसे शख्स जो किसी एक देश के नहीं थे उनकी सोच उनके संदेश पूरी दुनिया के लिए थे। भारत के बंटवारे के गांधी सख्त खिलाफ थे, लेकिन मजबूरन उन्हें देश के बंटवारे और भारत पाकिस्तान के अलग-अलग होने का संताप झेलना पड़ा, लेकिन जब उनकी हत्या हुई तो उस पाकिस्तान का क्या रुख था ये सभी जानना चाहते हैं, तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि जब गांधी जी की हत्या तो पाकिस्तान का क्या हाल था?
गांधी की ये सोच
गांधी जी किसी एक ऐसे इंसान थे, जो किसी एक मुल्क के नहीं, बल्कि उनकी दोनों तरफ वैसी ही इज्जत थी। क्योंकि गांधी जी अपने आप में एक सोच हैं। गांधी जी दोनों मुल्कों को एक ही तरह से देखते थे उन्होंने कहा भी था,
‘भारत और पाकिस्तान, दोनों मेरे मुल्क हैं। मैं पाकिस्तान जाने के लिए कोई पासपोर्ट नहीं लूंगा।’ कभी ये बात महात्मा गांधी ने कही थी। ज़ाहिर है वो ख़ुद को दो हिस्सों में देखना पसंद नहीं करते थे।’
पाकिस्तान में भी था दुख
भारत में 30 जनवरी 1948 को गांधी जी की हत्या हुई थी एक तरफ जहां भारत के सारे अखबार गांधी जी की हत्या से पटे थे। तो कूछ ऐसा ही अख़बारों की स्थितियां भी ऐसी ही थी। एक अखबार की कटिंग की मुख्य पृष्ठ की मुख्य खबर से लें हर जगह गांधी जी का जिक्र था। वहां भी दुख की घड़ी थी और सरकारी दफ्तरों में बंदी के साथ सारे झंडे झुका दिए थे।
दरअसल पाकिस्तान के एक शख्स ने वहां के उस दिन के अखबार की फोटो शेयर की हैं। इस शख्स का नाम जकोताजिन्न है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान की प्राथमिक पाठशालाओं में उन्हें जिन्ना की तरह ही पढ़ाया जाता है। इस शख्स ने जिन्ना को लेकर भारत के लोगों की सोच और गांधी जी की दिन-ब-दिन बढ़ती आलोचनाओं पर बहुत आश्चर्य जाहिर किया है।
राजनीतिक नायक गांधी जी
गांधी जी को जिस तरह से भारत में सम्मान की दृष्टि से पूजा जाता है ठीक वैसे पाकिस्तान में लोग उनकी सोच का एहतराम करते हैं। इमरान खान उन्हें राजनीतिक नायक बताते हैं तो वहीं दूसरी ओर गज़वा-ए-हिंद की बात करने वाले भी हामिद गुल गांधी जी की हत्या का दोषी आरएसएस को बताते हैं और गांधी जी को सलाम करते हैं।