संघर्ष: चपरासी की नौकरी कर भरे फ़ीस के पैसे, आज हैं 2 कम्पनियों के मालिक, लाखो का है टर्नओवर

किसी भी काम को करने में सबसे बड़ा महत्व संघर्ष मेहनत और लगन का होता है। किसी भी तरह की सफलता का असली सुख तभी होता है जब उसके लिए लग्न से मेहनत की गई हो। आज हम आपको एक ऐसी कहानी से रूबरू कराने जा रहे हैं, जो आपके रोंगटे खड़े कर सकती है। ये कहानी उस शख्स की। है जिसने अपना करियर चपरासी से शुरू करते हुए दो कंपनियों का मालिक बन गया।

टेक्निकल जानकारी का अभाव

संघर्ष: चपरासी की नौकरी कर भरे फ़ीस के पैसे, आज हैं 2 कम्पनियों के मालिक, लाखो का है टर्नओवर

इस कहानी के मुख्य किरदार यानी छोटू शर्मा 1998 में ढ़लियारा के सरकारी काॅलेज से बी.ए. पास के बाद नौकरी के लिए चंडीगढ गये टेक्निकल जानकारी के अभाव में उन्हें वहाँ स्थानीय “ऐपटेक” सेंटर में बतौर चपरासी की नौकरी से करियर की शुरुआत की। लेकिन आज उन्हें “गुरु ऑफ माइक्रोसाॅफ्ट टेक्नोलाॅजी” के नाम से पूरा चंडीगढ़ जानता है।

नौकरी करखे सीखा कंप्यूटर

दरअसल टेक्निकल जानकारी के अभाव के चलते छोटू ने एक स्थानीय इंस्टिट्यूट में चपरासी की नौकरी करने के साथ ही साथ वहीं कम्प्यूटर कोर्स में दाखिला ले लिया। दिन भर चपरासी की ड्यूटी के बीच जब भी उन्हें वक्त मिलता या कोई कम्प्यूटर खाली दिखता वह उस पर प्रैक्टिस शुरू कर देते और नॉलेज में इज़ाफ़ा करते।

ट्यूशन से जुटाई फीस

छोटू का परिवार इस माली हालत से जूझ रहा था कि उनके ‌पास पढ़ने के पैसे नहीं थे। इंस्टिट्यूट की फीस चपरासी की कमाई से पूरी न होती देख उन्होंने बच्चों को ट्यूशन देना शुरू कर दिया और उसके द्वारा रकम इकठ्ठा कर अपनी पढ़ाई आगे बढ़ाई।

छोटू को धीरे-धीरे सफलता मिलने लगी उन्हें माइक्रोसॉफ्ट सर्टिफाईड साॅफ्टवेयर डेवलपर का सर्टिफिकेट मिला बल्कि उन्हें ऐपटेक में ही फैकल्टी के तौर पर जॉब भी मिल गई इसी बीच वो बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाते रहे।

खोला कंप्यूटर सेंटर

सफलताओं के दौर में छोटू ने 2002 में खुद का कम्प्यूटर सेंटर खोलने का निर्णय किया। अपने बचत के पैसे से उसने एक बाईक और कम्प्यूटर खरीदकर दो कमरों का घर किराये पर लिया और कोचिंग सेंटर की शुरुआत की। 6 महीने से भी कम वक्त में 100 से भी अधिक छात्र हो गए।

उनकी मेहनत रंग लायी और देखते ही देखते छोटू शर्मा का नाम डाॅट नेट टीचिंग में पूरे चंडीगढ़ में छा गया। आज उनके अधिकतर छात्र 500 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाली कंपनियों में काम कर रहे हैं। माइक्रोसाॅफ्ट, एक्सेंचर, टीसीएस और इंफोसिस जैसी कंपनियां बड़े पैकेज पर इन छात्रों को नौकरी पर रख रही है।

खोला अपना ट्रेनिंग सेंटर

छोटू को सफलता मिलती ही जा रही थी। 2007 में छोटू ने चंडीगढ़ में CS Infotech नाम से कई कंप्यूटर ट्रेनिंग सेंटर खोले। आज 1000 से भी अधिक छात्र कम्प्यूटर की शिक्षा ले रहे हैं और एडवांस साॅफ्टवेयर लैग्वेज सीख रहे हैं। 2009 में मोहाली में जमीन खरीद कर उन्होंने CS Soft Solutions नाम की साॅफ्टवेयर कंपनी खोली। उनकी यह फर्म देश-विदेश में अपने ग्राहको को साॅफ्टवेयर बना कर देती है और बड़ी-बड़ी कंपनियों को अपनी सेवाएँ प्रदान करती है।

अवॉर्ड्स से हुआ सम्मान

छोटू की कम समय में अधिक सफलताओं के चलते लुधियाना में एलएमए ट्राईडेंट फाॅर यंग इनोवेशन आंत्रपेन्योर अवार्ड से भी नवाजा गया है। 2007 में हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने उन्हें हिमाचल गौरव पुरुष्कार से सम्मानित किया था। छोटू शर्मा आज हर जरुरतमंद की मदद करते हैं। वह योग्य छात्रों की मदद के लिए हमेशा आगे रहते हैं। गरीब परिवार में शादियों के लिए फंड देते हैं और ग्रामीण परिवेश के छात्रों को पढ़ाई में भी मदद देते हैं।

कठिनाइयां और काम में बाधा हर इंसान के साथ आती है, लेकिन तय उसे करना होता है कि उससे कोई व्यक्ति कैसे निपटेगा। मेहनत और सकारात्मक सोच इंसान को दिनों-दिन बेहतरीन बनाती है। जिसमें सबसे बड़ी भूमिका संघर्ष की होती है तभी कहा जाता है,

‘संघर्ष जितना अधिक होगा, सफलता उतनी ही शानदार होगी’

 

 

 

 

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