इस्लामाबाद- पड़ोसी देश पाकिस्तान की आर्थिक हालत किसी से छुपी नहीं है। ये देश अपनी जरूरतों के लिए अक्सर वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ के अलावा अन्य देशों से वित्तीय सहायता के लिए भीख मांगता रहता है। ऐसे में अगर किसी कारण भारी जुर्माना लग जाये तो ऐसे में यही कहावत सटीक बैठती है कंगाली में आटा गीला। जी हां, पाकिस्तान को 580 करोड़ डॉलर ( करीब 42841 करोड़ रुपए) का भारी-भरकम जुर्माना चुकाना है।
ये है पूरा मामला
पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रांत में रेको दिक जिला खनिज संपदा के लिए मशहूर है। पाकिस्तान सरकार ने तेथयान कॉपर कॉर्प से रेको दिक जिले में माइनिंग को लेकर करार किया था। यह ऑस्ट्रेलियन कंपनी बारिक गोल्ड कॉर्प और चिली के अंतोफागास्तो पीएलसी की 50-50 फीसदी हिस्सेदारी वाली संयुक्त कंपनी है। लेकिन बाद में बलोचिस्तान सरकार ने माइनिंग के लिए अपनी कंपनी बनाते हुए तेथयान को दिया पट्टा रद्द कर दिया।
जब पाकिस्तानी हुकूमत ने बलूचिस्तान में दिए खनन पट्टे को रद्द किया तो तेथयान इसके खिलाफ विश्व बैंक पहुंच गई। उसने वर्ल्ड बैंक के इंवेस्टमेंट झगड़ों के निपटारे के इंटरनेशनल सेंटर में पाकिस्तान की शिकायत की। अब पाकिस्तान ने वर्ल्ड बैंक इंटरनेशनल सेंटर फॉर सेटलमेंट ऑफ इंवेस्टमेंट डिस्प्यूट से जुर्माना न वसूलने की अपील की है, जिस पर विचार किया जा रहा है।
जुर्माना माफी के लिए गिड़गिड़ा रहा पाकिस्तान
पाकिस्तान के लिए यह जुर्माना चुकाना कितना मुश्किल है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यदि पाकिस्तान को राहत नहीं मिली तो उसे विदेशी मुद्रा भंडार के करीब 40 फीसदी हिस्से के बराबर जुर्माना देना होगा।
पाकिस्तान ने इंटरनेशनल सेंटर में कहा है कि उसे इस जुर्माने से राहत दी जाए क्योंकि अगर वो ये भारी-भरकम पेनल्टी देता है तो उसे कोरोना के खिलाफ चल रही देश की जंग में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा और ये एक वैश्विक महामारी है जिसके समाधान के लिए कई राष्ट्रों को आर्थिक सहायता की दरकार है। अगर जुर्माना लिया गया तो कोरोना संक्रमण के खिलाफ जंग पर इसका असर होगा।