नई दिल्ली: आज का दिन शौर्य का है क्योंकि आज ही के दिन 21 दिन साल पहले हमारे भारतीय सेना ने लद्दाख के सबसे ऊपरी इलाके कारगिल युद्ध में भारतीय जमीन पर घुस आए नापाक यादों वाले पाकिस्तानी सैनिकों खदेड़ कर उनकी सीमा में न केवल भेजा था, बल्कि उन्हें मौत के घाट उतारा था। इसी लिए आज का दिन कारगिल युद्ध की विजय और शौर्य का है, लेकिन सेना की इस सफलता के पीछे दो लोगों का बड़ा हाथ है।
चरवाहों ने दी जानकारी
किसी भी सेना को गुप्तचरों और खबरियों पर निर्भरता रखनी ही पड़ती है। वैसे ही कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के पास कुछ ऐसे ही शुभचिंतक या देशभक्त (या उन्हें जितनी सकारात्मक संज्ञाएं दी जाए) सामने आए थे, जिन्होंने भारतीय सेना की इस कारगिल युद्ध में मदद कर दी थी। वो उस इलाके के चलवाहे थे जिन्होंने बताया था कि कुछ लोग घुस आए हैं और उसके बाद की कहानी आप सभी जानते हैं।
पाकिस्तान ने भेजे उग्रवादी
पाकिस्तान ने हमेशा की तरह ही एक बार फिर भारत की पीठ पर छुरा घोंपकर अपनी औकात बता दी। पाकिस्तान ने कश्मीर के पहाड़ी क्षेत्रों और लद्दाख की ऊंची-ऊंची कारगिल की चोटियों पर अपनी सेना के वेश में आतंकवादी और उग्रवादियों को भेज दिया था और उन्होंने इस इलाके पर कब्जा कर लिया था जिसके बाद चरवाहों ने जानकारी दी थी कि वो लोग घुस आए हैं और यही कारगिल युद्ध का कारण बना।
भारतीय सेना का ऑपरेशन विजय
भारतीय सेना ने पूरे इलाके में ऑपरेशन विजय चलाया और इसके बाद कारगिल युद्ध शुरू हुआ। भारतीय सेना सीमा पार करके आए सभी उग्रवादियों पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ा और जो रास्ते में आए उन्हें मौत के घाट उतार दिया। इस कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने लंबे वक्त तक ऑपरेशन विजय चलाया 26 जुलाई 1999 को कारगिल का पूरा भाग या तो पाकिस्तानी सैनिकों की लाशों से भर दिया या उन्हें खदेड़ दिया और युद्ध जीतकर इलाके में अपना तिरंगा लहराया।
जवानों की शहादत
कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी उग्रवादी पहाड़ी इलाकों के चोटियों पर बैठकर हमला कर रहे थे जिसके चलते भारत में कारगिल युद्ध तो जीता लेकिन भारतीय जवानों की शहादत संख्या काफी ज्यादा है कारगिल के युद्ध में भारत के 527 जवानों की शहादत हुई। वहीं 1363 जवान गंभीर रूप से घायल भी हुए थे। पाकिस्तान के करीब 3000 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे लेकिन जैसी पाकिस्तान की फितरत है वैसा ही उसने किया और कहा कि केवल 300 लोग मारे गए है।
वायु सेना का परचम
कारगिल युद्ध में भारतीय वायुसेना की बड़ी भूमिका थी पहाड़ी इलाके होने के चलते जब भारतीय थल सेना को दिक्कत होती थी तो उनकी मुश्किलें हल करने में वायु सेना कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना मिग-29, मिग-27, और मिराज-2000 जैसे विमानों से पहाड़ों की चोटियों पर बैठे दुश्मनों के छक्के छुड़ाते हुए उनकी लाशें बिछा थीं।
रात में करते थे चढ़ाई
कश्मीर और कारगिल की पहाड़ियां ऐसी थी जिन पर चढ़ना बेहद मुश्किल था ऐसे वक्त में ऊपर बैठा दुश्मन बंदूकों से वार करता था इससे बचने के लिए भारतीय सेना ने एक तरकीब लगाई और उन्होंने रात में पहाड़ों पर चढ़ाई की और हर ग्राहक किसी न किसी पर्वत चोटी पर आतंकियों और पाकिस्तानी सैनिकों को मार कर तिरंगा लहरा देते थे। 26 जुलाई को कारगिल विजय के साथ ही देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने घोषणा की थी 26 जुलाई को विजय दिवस के रूप में ही मनाया आ जाएगा।