देश में कोरोनावायरस के मामले दिन-ब-दिन बढ़ रहें हैं। 10 लाख से ज्यादा मामले होना देश के लिए किसी खतरे की तरह ही है। खास बात ये है कि जबसे लॉकडाउन खुलने और अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई है तबसे कोरोना के मामलों में भारी इजाफा हुआ है। इन परिस्थितियों को देखते हुए लॉकडाउन को दोबारा लगाने की आशंकाएं बन रहीं हैं। इसके लिए कई तरह के सुझाव भी आ रहे हैं। ऐसे में विशेषज्ञ वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने देश में दोबारा लॉकडाउन लगाने की बात कही है।
फिर लगे लॉकडाउन
देश में जिस रफ्तार से कोरोनावायरस के मामले बढ़ रहे हैं ऐसे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए गए शोधों के अनुसार वैज्ञानिकों ने ये निष्कर्ष निकाला है कि भारत में एक बार फिर राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगाने की आवश्यकता होगी। ये भी अंदेशा जताया जा रहा है कि जिस रफ्तार के साथ भारत में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं ऐसे में भारत जल्द अमेरिका और ब्राजील को भी पीछे छोड़ सकता है जो कि भारत के लिए एक मुश्किल की तरह ही होगा।
विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि जिस तरह से राज्य अपने स्तर पर लॉकडाउन लगा रहे हैं इससे संक्रमण पर लगाम लग सकती है। साथ ही हॉटस्पॉट वाले इलाकों में दो हफ्तों के कोरोना केस की रफ्तार के आधार पर बंदिशे लगाने व हटाने का निर्णय करना होगा। इस दिशा जो राज्य कदम उठा रहे हैं उनके परिमाण आने वाले समय में बेहतर हो सकते हैं।
हर दिन हो 10 लाख जांच
भारत में टेस्टिंग की रफ्तार बढ़ी है लेकिन फिर भी ये जनसंख्या के हिसाब से काफी कम है। इस मामले में पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन के प्रमुख श्रीनाथ रेड्डी ने कहा है कि देश के सबसे प्रभावित दस राज्यों में हर दिन करीब दस लाख कोरोनावायरस की टेस्टिंग होनी चाहिए। एनवाईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के बड़े राज्य उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्यों में कोरोनावायरस के मामले जनसंख्या घनत्व के कारण अधिक रफ्तार से बढ़ रहे हैं।
छोटे शहरों में बिगड़ते हालात
कमेटी की रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोनावायरस के कारण भारत में पहले लॉकडाउन तो लगाया लेकिन संक्रमण का स्रोत नहीं पता लग सका और ये भारत में कोरोनावायरस के फैलने का सबसे बड़ा कारण बना। इसी के चलते अब एक तरफ जहां बड़े शहरों मुंबई, दिल्ली में हालात ठीक हो रहे हैं तो दूसरी ओर छोटे शहर में अधिक जनसंख्या घनत्व के चलते अब वहां कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं।