नई दिल्ली: कोरोनावायरस की महामारी के बीच राजयसभा के चुनाव संपन्न हो चुके हैं। जिसके बाद अब राज्यसभा के लिए चुने गए सांसदों ने आज शपथ ली है। जिसमें पहली बार राज्यसभा में चुनाव जीतकर आए 43 सांसद भी शामिल हैं। महत्वपूर्ण बात ये है कि इस दौरान 61 नए सांसदों ने राज्यसभा के पद और गोपनीयता की शपथ ली है।
सिंधिया ने ली शपथ
राज्यसभा में शपथ ग्रहण के दौरान एक अजीबो-गरीब माहौल देखने को मिला जब कांग्रेस से बीजेपी में आए नए नवेले राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शपथ के पहले कांग्रेस के बड़े और शीर्ष स्तर के नेताओं का अभिवादन किया। जिसके बाद उन्होंने सांसद पद की शपथ ली। इस राज्यसभा चुनाव के बाद बीजेपी के पास 86 सांसद हो गए हैं जो कि पहले 75 थे।
कांग्रेस नेता पहुंचे राज्यसभा
इस शपथ ग्रहण के दौरान कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, दिग्विजय सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा, एनसीपी प्रमुख शरद पवार जेएमएम नेता शिबू सोरेन ने भी राज्यसभा सदस्य चुने जाने के बाद पद और गोपनीयता की शपथ ली है।
कांग्रेस के ही एक और सांसद केसी वेणुगोपाल राजस्थान से राज्यसभा के लिए चुने गए हैं। इसके लिए उन्होंने एक दिन पहले ही ट्वीट करके शीर्ष पार्टी नेतृत्व और राजस्थान की जनता का आभार जताया था। आपको बता दें कि कोविड-19 को देखते हुए यह शपथ ग्रहण चेंबर हाउस में कराया गया था। आम स्थितियों में यह शपथ राज्यसभा अध्यक्ष के कमरे में ही ली जाती है।
बीजेपी में आए सिंधिया
दरअसल पिछले महीने 19 जून को राज्यसभा की 19 सीटों के लिए चुनाव हुए थे जिसमें आठ बीजेपी और 4 सीटें कांग्रेस ने जीती हैं। शिवसेना की तरफ से कांग्रेस से आईं प्रियंका चतुर्वेदी को राज्यसभा में भेजा गया है। गौरतलब यह भी है कि मध्य प्रदेश की सियासी उठापटक के बीच कांग्रेस में ज्योतिरादित्य सिंधिया को साइडलाइन करने के बाद सिंधिया ने बीजेपी में जाने का फैसला लिया था। उसके बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर गई थी और 15 साल तक मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
नहीं अटकेगा कोई बिल
जानकारों का मानना है कि इन राज्यसभा चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी राज्यसभा में और मजबूत हो गई है एनडीए शासित मोदी सरकार को अब राज्यसभा में कोई भी बिल पास कराने के लिए जोड़-तोड़ की राजनीति कम करनी पड़ेगी बीजेपी अपने दम पर 86 सांसदों के साथ है जबकि गठबंधन के सभी साथी यानी एनडीए को मिलाकर यह आंकड़ा 100 से पार चला जाता है जोकि मोदी सरकार के लिए एक कामयाबी की तरह है।