पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज़ नहीं आता। यदि इतिहास के पन्नो को पलटकर देखा जाये तो 1965 में भारतीय सेना ने वेस्टर्न फ्रंट पर अंतरराष्ट्रीय सीमा को लांघते हुए अधिकारिक तौर पर युद्ध का बिगुल बजा दिया था। उस समय भारतीय वायुसेना के विमान 100 फीट की ऊंचाई पर 1100 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से एलओसी पार करके पाकिस्तान पहुंच गए थे। भारतीय सेना पाकिस्तान को आए दिन मात देती रहती है।
हवाई युद्ध –
1965 में विमान में सवार भारतीय वायुसेना के कुछ पायलट को पाकिस्तान के रायविंड रेलवे स्टेशन के यार्ड में एक मालगाड़ी जाते हुए दिखी थी। इसके बाद पायलट ने देखा कि वहां दो पाकिस्तानी विमानभेदी टैंक भी मौजूद हैं। सभी पायलट ने इन टैंकों को चकमा देने का प्लान बनाया। सभी पायलट ने तोप को धोखा देने के लिए जान बूझकर स्टेशन के ऊपर उड़ान भरकर ये दिखाने की कोशिश की कि उन्होंने ट्रेन को देखा ही नहीं लेकिन लड़ाकू विमान उड़ते हुए दूर तक गए और तेजी से मुड़ते हुए पूरी ट्रेन पर ताबड़तोड़ बम बरसा दिए।
इस हमले के बाद ट्रेन में रखे विस्फोटक फटने लगे जिससे पूरी ट्रेन तहस-नहस हो गई। ट्रेन के पीछे का जो हिस्सा बचा था उसे सेना ने रॉकेट हमले से उड़ा दिया। इस युद्ध में आजादी के बाद पहली बार भारतीय वायु सेना (आईएएफ) एवं पाकिस्तानी वायु सेना (पीएएफ) के विमानों ने एक दुसरे का मुकाबला किया। इससे पहले इन दोनों वायु-सेनाओं ने 1940 के दशक में प्रथम कश्मीर युद्ध में हिस्सा लिया था, जिसमें कि 1965 युद्ध की तुलना में इनका योगदान बहुत कम और केवल परिवहन तक ही सीमित था।
टैंक युद्ध-
1965 के युद्ध में द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद टैंकों के सबसे बड़े युद्ध लड़े गए थे। इस हमले का असर ये हुआ कि पाकिस्तानी सेना की कमर टूट गई और इतने बड़े जखीरे के नष्ट हो जाने के कारण उसके पास हमला करने के लिए बहुत कम टैंक और हथियार रह गए थे।
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