आठ पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार कर और पूरी पुलिस टीम की आँख में धुल झोंक कर कानपुर क्या उत्तर प्रदेश से पूरी सफाई के साथ भाग जाने वाला हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे क्या इतना बेवकूफ था कि पूरी पुलिस फ़ोर्स के बीच भागने कि कोशिश की होगी. जिस पर 71 मुकदमे दर्ज़ हो वह इतना भी नासमझ तो नहीं होगा कि यह नहीं जनता होगा कि भागने पर पुलिस एनकाउंटर कर देगी.
फिर एक सवाल यह भी खड़ा होता है कि अगर उसे भागना ही था तो वह आत्मसमर्पण करता ही क्यों. जो पुलिस फ़ोर्स उसे उत्तर प्रदेश से भागने पर नहीं रोक पाई तो क्या उसे उत्तर प्रदेश के बाहर पकड़ सकती थी? ऐसे ही न जाने कितने सवाल विकास दुबे अपने पीछे छोड़ गया है, जिस पर गंभीरता से जाँच होनी आवश्यक है ताकि मामले कि तह तक जाकर पूरी सच्चाई उजागर की जाए.
यहां एक सवाल यह भी उठता है कि अगर विकास जिन्दा रहता तो न जाने कितने ही के चेहरे से नकाब उतारता. फिलहाल इस कानपुर एनकाउंटर मामले पर सैकड़ों सवाल खड़े हो रहे हैं. इस पर पूरे देश की राजनीति गरमा गई है. एक ओर कांग्रेस के कद्दावर नेता व हरियाणा के कैथल विधायक रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट करते हुए विकास दुबे एनकाउंटर मामले पर कुछ यू कहा है…
“विकास दुबे एनकाउंटर में मारा गया. कई लोगों ने पहले ही आशंका जताई थी.पर अनेकों सवाल छूट गए…. जिसमें (सवाल एक)अगर उसे भागना ही था तो उज्जैन में सरेंडर ही क्यों किया, 2. उस अपराधी के पास क्या राज है जो सत्ता शासन से एक गठजोड़ को उजागर करते? 3. पिछले 10 दिनों की कॉल डिटेल जारी क्यों नहीं.
आईपीएस ने पुलिस की कार्यशैली पर लगाया प्रश्नचिन्ह….
दूसरी ओर आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने विकास दुबे के सरेंडर करने के बाद ही ट्वीट करते हुए यह आशंका जताई थी कि उसका एनकाउंटर कर दिया जाएगा और मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हो पाएगी.
उन्होंने लिखा
” विकास दुबे का सरेंडर हो गया. हो सकता है कल वह यूपी पुलिस कस्टडी से भागने की कोशिश करे, मारा जाए. इस तरह विकास दुबे चैप्टर क्लोज हो जाएगा, किंतु मेरी निगाह में असल जरूरत इस कांड से सामने आई यूपी पुलिस के अंदर की गंदगी को ईमानदारी से देखते हुए उस पर निष्पक्ष/ कठोर कार्रवाई करना है. यदि लीपापोती हुई तो परिणाम भयावह होंगे और शहीद पुलिसकर्मियों का बलिदान पूरी तरह व्यर्थ हो जाएगा.”
एक दूसरी ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि
“हम विकास दुबे को गिरफ्तार नहीं कर सकते और वह उज्जैन में सरेंडर हो गया.”