कानपुर कांड के मुख्य अपराधी विकास दुबे अपने अंजाम तक पहुंच चुका है। उसके गुर्गों को भी या तो एनकाउंटर में मार दिया गया है या तो वह अभी भी पुलिस की गिरफ्त में है। विकास दुबे का एक ऐसा ही सहयोगी जय बाजपेई भी पुलिस की गिरफ्त में हैं और अब उसके विकास दुबे के साथ संबंधों को लेकर हर दिन कुछ नए खुलासे हो रहे हैं। फिलहाल जय बाजपेई पर पुलिस ने संगीन धाराओं में केस दर्ज करते हुए उसे जेल भेज दिया है।
सामने आएंगे नए खुलासे
विकास दुबे को लेकर यह कहा जा रहा है कि जो मामले पुलिस की संलिप्तता होने के चलते दब गए थे। वह मामले भी अब फिर से सामने आएंगे। इस मामले पर दोबारा जांच के बाद विकास दुबे का काला सच और कच्चा चिट्ठा सबके सामने आएगा। जय बाजपेई के माध्यम से यह सामने आएगा कि जिन मामलों में जांच दब गई थी अब वो सभी जांचे दोबारा से शुरू होंगी जिसमें सबसे ज्यादा मुश्किलें जय बाजपेई की बढ़ेंगी।
शक के घेरे में मुकदमे
दरअसल जय बाजपेई के खिलाफ कन्नौज के तत्कालीन एएसपी केसी गोस्वामी की एक रिपोर्ट सामने आई है जो इस मामले में जांच कर रहे हैं। जिसमें पता चला है कि कानपुर के नजीराबाद, बजरिया थाने में केस दर्ज मिले हैं। यह सभी मामले अब सवालों के घेरे में आ गए हैं जिनकी जांच शुरू हो गई है।
किसने कराईं है एफआईआर
खबरों के मुताबिक यह मुकदमा जय बाजपेई के विरोधी सौरभ भदौरिया के बीच पथराव को लेकर हुआ था। इसमें पहला मुकदमा जय बाजपेई के विरोधी सौरभ के समर्थक विशाल कुरील ने दर्ज कराया था। जिसके विरोध में फिर एफ आई आर प्रिंस सोनकर ने कराई थी। अभी तक की रिपोर्ट में सामने आया है कि जय बाजपेई के पक्ष को पुलिस की तरफ से समर्थन मिला था, जिससे ये बहुत संगीन मामला बन गया है।
सभी मामलों की होगी जांच
गौरतलब है कि विकास दुबे के बिकरू कांड के बाद जय बाजपेई भी लंबे समय तक फरार हो गया था जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। उसके खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज किए गए थे फिर वह जेल में डाल दिया गया है। कानपुर के नजीराबाद और बजरिया थाने में यह जो मुकदमे दर्ज हुए हैं और इन मुकदमों में पुलिस की जो संलिप्तता रही है उसको लेकर अब पुलिस उनकी दोबारा सघन जांच करेगी जिसको देखकर लगता है कि जय बाजपेई की मुसीबतें और अधिक बढ़ेंगी।