काठमांडू: भारत चीन विवाद के बीच भारत के हमेशा भावनात्मक रुप से नजदीक रहा पड़ोसी देश नेपाल अब भारत के इलाके को अपना बताकर भारत को आंखें दिखा रहा है। भारत के लाख विरोधों के बावजूद नेपाल के राष्ट्रपति ने संसद से पास हुए नए नेपाल के मैप को मंजूरी दे दी है. इस मंजूरी के साथ ही अब ये नेपाल के संविधान का हिस्सा बन गया है। नेपाल ने भारत के तीन इलाकों पर अपना बेबुनियाद दावा ठोकते हुए भारत के तीन इलाकों को नेपाल के मानचित्र में जोड़ दिया है, जिसको लेकर भारत लगातार आपत्ति जाहिर कर चुका है।
निर्विरोध पास हुआ विधेयक
नेपाल के ऊपरी सदन से पूर्ण और निर्विरोध बहुमत पाकर ये विधेयक नेपाल की राष्ट्रपति विद्यादे वी भंडारी के पास भेजा गया था। बिल के समर्थन में सभी मौजूद 57 सदस्यों धे वोटिंग की थी और नेपाल के नक्शे को संशोधित कर दिया था। जिसके बाद नेपाल की राष्ट्रपति ने इसमें अपनी मुहर लगा के इसे संविधान का हिस्सा घोषित कर दिया।
नेपाल ने बनाईं चौकियां
संविधान में शामिल होने के साथ ही नेपाल ने अब काला पानी के चंगारू इलाके के पास अपनी उन्नत किस्म की स्थायी चौकियां तैनात कर दी है। इस क्षेत्र में अब पुलिस और सुरक्षाकर्मियों ने बंदूक थाम ली है पहले यही सुरक्षा बल के लोग लाठी लिए रहते थे। जानकारी के मुताबिक नवंबर से लेकर मार्च तक ये चौकी ठंड के कारण बंद रहती थी।
भारत ने जताया है विरोध
भारत सरकार नेपाल के इस नए मानचित्र पर प्रतिक्रिया देते हुए साफ कर चुकी है कि ये पूर्ण रुप से भारत का हिस्सा है और कृत्रिम विस्तार किसी भी प्रकार के एतिहासिक साक्ष्य पर आधारित नहीं है अतः भारत इसे किसी भी प्रकार की मान्यता नहीं देगी। भारत ने दावा किया है लिपुलेख और उस इलाके पर स्थित सड़क पूरी तरह से भारतीय भू-भाग में स्थित होने के कारण वो हमारे मानचित्र का हिस्सा।
नहीं बंद होंगी चौकियां
इन सबसे इतर नेपाली सेना और वहां की सरकार आक्रामकता दिखा रही है। नेपाल के सेना प्रमुख पूर्णचंद्र थापा ने बुधवार को लिपुलेख और कालापानी इलके का दौरा करते हुए वहां स्थानीय चौकियों के निर्माण की बात कही जिसे एक अहम कदम माना जा रहा है। दूसरी ओर धारचूला के उपजिलाधिकारी ने कहा कि ये चौकियां पहले ठंड में बंद रहतीं थी लेकिन अब चाहे कितनी भी ठंड पड़े पर ये चौकियां बंद नहीं पड़ेंगी।
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