पिछले कुछ समय से राजस्थान के राजसमंद जिले में बसा यह गाँव ग्लोबल मीडिया में छाया हुआ है। गौरतलब है कि गाँव में हुए कुछ खास कामों की वजह से Piplantri को Google पर काफी सर्च किया जाता है। जिसकी वहज से यह काफी चर्चा में है| गाँव में जो भी कन्या जन्म लेती है उसके नाम पर परिजनों और ग्रामीणों द्वारा 111 पौधे लगाए जाते हैं। अभी तक इस गाँव में 93,000 से ज्यादा पौधे पेड़ बन गए हैं।
क्या है किरण निधि योजना –
इस योजना की शुरुआत वहां के पूर्व प्रधान पालीवाल जी की बेटी को समर्पित करते हुए 2006 – 07 में शुरू हुई ग्रामवासियो ने इस योजना का नाम किरण निधि योजना दिया 30 जुलाई 2011 को इसकी शुरुआत विधिवत तरीके से हुई।
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पालीवाल ने इस योजना के बारे में बताते हुए कहा, कि
“इस योजना का मुख्य उदेश्य है कि हमारे गांव की बेटियों को उनके माता-पिता बोझ न समझे गांव में जन्म लेने वाली हर बेटी के नाम पर 31000 रूपए फिक्स्ड डिपाजिट करवाते हैं व बेटी के माता-पिता से 10,000 रुपये तक की मदद ली जाती है, जिससे आर्थिक जुड़ाव बना रहे.”
अब तक लग चुके है 93000 से ज्यादा पौधे बन चुके हैं पेड़ –
अनूठी योजना में बेटी के बाद उनके रिश्तेदारों द्वारा 111 पौधे गांव सरकारी जमीन पर लगवाए जाते हैं, देखभाल ग्रामवासी करते हैं, इस योजना को देश – विदेश में भी सराहना मिली है
किसने की इस अनूठी मुहिम की पहल –
साल 2005 से 2010 तक गाँव के सरपंच रह चुके श्यामसुंदर पालीवाल ने बताया मेरी जवान बेटी किरण का आकस्मिक निधन हो गया, जिसके बाद मुझे सदमा सा लग गया। गांव के कुछ लोगों ने उठावने के दिन ही मेरी बेटी की स्मृति में मेरे हांथ से कुछ पौधे लगवाए। मेरे लिए यह एक ऐसा वक़्त था, जिससे मुझे प्रेरणा मिली और गाँव की बेटियों के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित हुआ.
दहेज प्रथा से मिला छुटकारा –
सरपंच पालीवाल ने जब दहेज प्रथा की ओर ध्यान दिया तो कई बाते सामने आने लगी देखा जाए तो आज के समय मे आम ग्रामीण दहेज देकर भी मांगने वालों की मांग को पूरा नहीं कर पाते हैं. देखा जाए तो दहेज की कुप्रथाओं के चलते लड़कियों को पराया धन समझा जाता है, वहीं देखे तो कन्या भ्रूण हत्या और कन्या वध इन सभी का कारण दहेज ही है.
इस तरह की समस्या को दूर करने के लिए पालीवाल ने गाँव मे एक प्रथा बनाई कि कन्या के जन्म पर ही माता-पिता, पौधारोपण करें उन पौधों का 18 से 20 साल तक पालन-पोषण करें, जिससे कन्या के विवाह के समय पर्याप्त धन जुटाया जा सकता है।
पालीवाल का कहना है कि
“पिछले कुछ दशकों से लगातार गिरते लिंगानुपात को देखकर सभी चिंतित हैं। कठोर कानूनी प्रावधान के बावजूद भी, कन्या भ्रूण हत्या रोकने में अब तक विशेष कामयाबी नहीं मिली। बेटियों की रक्षा के लिए सिर्फ कागजी प्रावधानों से काम नहीं चलेगा। धरातल पर भी कुछ उपाय अपनाने होंगे।”
इस योजना के अनेक लाभ मिलते हैं बेटी के जन्म लेने पर एफ डी करवाने के बदले माता-पिता से पेपर पर एक शपथ पत्र लिया जाता है जिसकी शर्ते निम्न है –
- बेटी को शिक्षा से वंचित नहीं रखेंगे बाल विवाह नहीं करेंगे.
- बेटी के जन्म पर लगाए गए पौधे बेटी का पालन सामान करेंगे पौधों के वृक्ष जायेंगे तो गांव वालो का उन पर अधिकार होगा.
- कन्या भ्रूण हत्या नहीं करेंगे बालिग होने तक एफ डी रकम उच्च शिक्षा के लिए लगाएंगे.
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