सूर्य ग्रहण के प्रकोप पर भारी ये पाँच चीज़े, करेंगे ये उपाय तो नहीं पड़ेगा आप पर बुरा प्रभाव

कोरोना काल मे पड़ रहे सूर्य ग्रहण के प्रकोप से बचने के लिए इन पांच वस्तुओ का उपाय ज़रूर अपनाये। ज्योतिषविद्या की मानें तो सूर्यग्रहण को शुभ नहीं माना गया है। इसलिए धर्म ग्रंथो मे लिखें पांच उपाय ही हमें ग्रहण के अशुभकाल से बचा सकते हैं। तो आइये जानते हैं क्या हैं वो पाँच चीज़े और किस तरह हमें सूर्य ग्रहण के प्रकोप से बचाएंगी……..

कुश

सूर्य ग्रहण के प्रकोप पर भारी ये पाँच चीज़े, करेंगे ये उपाय तो नहीं पड़ेगा आप पर बुरा प्रभाव

धार्मिक रूप से कुश एक प्रकार का तृण (घास) माना गया है। यह पवित्र होता है. हिन्दू धार्मिक अनुष्ठान मे इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से किया जाता है. अर्थवेद में इसे क्रोध व अशुभ संकेत को नष्ट करने वाला बताया गया है. इसीलिए ग्रहणकाल की अशुभता को भी दूर करने के लिए इसका इस्तेमाल करना अच्छा माना गया है. अगर ग्रहण काल से पहले सूतक के दौरान कुश को अन्न-जल आदि में डाल दिया जाए तो ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है।

जौ

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सूर्य ग्रहण के दौरान जौ का प्रयोग भी कर सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए जौ को जेब में रखना चाहिये। इससे स्वास्थ्य पर ग्रहण का कोई असर नहीं पड़ता साथ ही मंगल का भी दोष दूर होता है।

तुलसी दल

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ऐसी मान्यता है कि ग्रहण के दौरान खाने पीने की वस्तु अशुद्ध हो जाती हैं। इसलिए वस्तु को शुद्ध करने के लिए तुलसी की पत्तियों का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। ग्रहण शुरू होने से पहले तुलसी दल भोजन आदि खाने पीने की वस्तु मे डाल देने से खाना शुद्ध बना रहता है।

ज्योतिष आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि शास्‍त्र के अनुसार तुलसी में पारा होता है। पारा के ऊपर किसी भी किरणों का कोई असर नहीं होता है। दुसरे तुलसी दल सकारात्मक ऊर्जा का भी प्रतीक है. पर अच्छा असर नहीं पड़ता है।

गंगाजल

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हिंदु धर्म मे गंगाजल को पवित्र माना गया है. इसलिए सूर्य ग्रहण के दौरान गंगाजल का प्रयोग कर सकते है। गंगाजल कभी दूषित नहीं होता है। इसलिए घर मे बरकत के लिए ग्रहणकाल मे एक रुपए का सिक्का पूजा स्थल पर रखकर सूर्य भगवान का ध्यान करें और ग्रहण के बाद इसे गंगाजल से धोकर लाल कपड़े में लपेटकर अपनी तिजोरी में रख लें।

ऐसा करने से पुण्य पहल कि प्राप्ति होगी, साथ ही ग्रहण काल के बाद नहाने के जल में गंगाजल डालकर नहाना चाहिए। शास्त्रों मे शारीरिक व मानसिक शुद्धि के लिए ग्रहण के बाद स्नान को जरूरी बताया गया है। स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें और घी का दीपक जलाएं।

तिल

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ग्रहणकाल को अशुभकाल माना जाता है, यह भी मान्यता है कि इस दौरान बुरी शक्तियां ज्यादा सक्रिय हो जाती हैं, इसलिए ग्रहण के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए ग्रहण के दौरान दान आदि करना भी अच्छा माना जाता है। ऐसा करने से ग्रहों की शांति भी बनी रहती है, जैसे सूर्यग्रहण के दौरान राहु केतु की शांति के लिए ग्रहण पूर्व तिल, तेल, कोयला, काले वस्त्र दान के लिए रख लें और ग्रहण समाप्त होने पर स्नान पूजा के बाद किसी जरूरतमंद को दान कर दें।

तिल का दान अत्यंत ही शुभ माना गया है, इससे राहु-केतु शांत रहते हैं और अनावश्यक कष्टों से मुक्ति मिलती है। सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियां आपसे दूर रहती हैं।

 

 

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